।। श्रीगणेशप्रातःस्मरणम् ।।
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्। उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड- माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम्।।१।।
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमान- मिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्। तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय।।२।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोक- दावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्। अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाह- मुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।३।।
श्लोकत्रयमिदं पुण्यं सदा साम्राज्यदायकम्। प्रातरुत्थाय सततं यः पठेत्प्रयतः पुमान्।।४।।
भगवान् गणेश के अनेकों अवतार हैं, जिनमें आठ अवतार प्रमुख हैं।
पहला अवतार भगवान् वक्रतुण्ड का है।
वक्रतुण्ड- वक्रतुण्डावतारश्च देहानां ब्रह्मधारकः। मत्सरासुरहन्ता स सिंहवाहनगः स्मृतः।। श्रीगणेश का 'वक्रतुण्डावतार' ब्रह्मरुप से सम्पूर्ण शरीरों को धारण करने वाला, मत्सरासुर का वध करने वाला तथा सिंह वाहन पर चलने वाला है। एकदन्त- एकदन्तावतारौ वै देहिनां ब्रह्म धारकः। मदासुरस्य हन्तास आखुवाहनगः स्मृतः।। श्रीगणेश का 'एकदन्तावतार' देहि - ब्रह्म का धारक है, वह मदासुर का वध करने वाला है उनका वाहन मूषक है। महोदर- महोदर इति ख्यातो ज्ञानब्रह्म प्रकाशकः। मोहसुरस्य शत्रुर्वै आखुवाहनगः स्मृतः।। श्रीगणेश का ‘महोदर’ नाम से विख्यात अवतार ज्ञान ब्रह्म का प्रकाशक है। उन्हें मोहासुर का विनाशक तथा उनका मूषक - वाहन बताया बताया गया है। गजानन- गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्य सिद्धिदायकः। लोभासुरप्रहर्ता वै आखुगश्च प्रकीर्तितः।। श्रीगणेश का ‘गजानन’ नामक अवतार सांख्यब्रह्म का धारण है। उसको सांख्य योगियों के लिए सिद्धिदायक जानना चाहिये। यह अवतार लोभासुर का संहारक तथा मूषक वाहन पर चलने वाला कहा गया है। लम्बोदर- लम्बोदरावतारो वै क्रोधासुर निबर्हणः। शक्तिब्रह्माखुगः सद् यत् तस्य धारक उच्यते।। श्रीगणेश का ‘ लम्बोदर ’ नामक अवतार सत्स्वरुप तथाशक्तिब्रह्म का धारक है। इनका भी वाहन मूषक है। विकट- विकटो नाम विख्यातः कामासुर विदाहकः। मयूरवाहनश्चायं सौरब्रह्मधरः स्मृतः।। श्रीगणेश का ‘विकट’ नामक प्रसिद्ध अवतार कामासुर का संहारक है। वह मयूर वाहन एवं सौरब्रह्म का धारक माना गया है। विघ्नराज- विघ्नराजावतारश्च शेषवाहन उच्यते। ममतासुर हन्ता स विष्णुब्रह्मेति वाचकः।। श्रीगणेश का ‘विघ्नराज’ नामक अवतार विष्णु ब्रह्म का वाचक है। वह शेषवाहन पर चलने वाला तथा ममतासुर का संहारक है। धूम्रवर्ण- धूम्रवर्णावतारश्चभिमानासुरनाशकः। आखुवाहन एवासौ शिवात्मा तु स उच्यते।। श्रीगणेश का ‘धूम्रवर्ण’ नामक अवतार अभिमानासुर का नाश करने वाला है, वह शिवब्रह्म-स्वरुप है। उसे भी मूषक वाहन कहा गया है।