गुरुवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष व्रत कहलाता है। इस दिन पड़ने वाले व्रत को करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।संतान के लिए जरूर इस व्रत क़ो करना चाहिए
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ महूर्त ==================== प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि– 15 जून को सुबह 8 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी और 16 जून को सुबह 8 बजतक 39 मिनट तक रहेगी। पूजा मुहूर्त- शाम 7 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। पूजा का महूर्त 2 घंटे 1 मिनट तक रहेगा। प्रदोष व्रत वाले दिन शाम के समय दोबारा स्नान करें और फिर प्रदोष काल में शिव पूजा शुरू करें। भोलेनाथ को पंचामृत और जल से नहलाएं और फिर धूप-दीप जलाकर पूजा शुरू करें। इस दौरान प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। पूजा में भोलेनाथ को उनकी प्रिय बेलपत्र, धतूरा, भांग, रुद्राक्ष, गंगाजल और भांग चढ़ाएं। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं। व्रती को इस दौरान पंचधारी मंत्र का जाप करना चाहिए। गुरु प्रदोष व्रत के उपाय ==================== 1.पीतल के लोटे में जल लेकर उसमें हल्दी, गुड़ और चने की दाल मिलाएं और यह जल केले के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं। 2.शिव मंदिर में जाकर पुजारी को पूजा की किताब,पीली मिठाई, पीले फल दान में दें, 3.अच्छी सेहत पाने के लिए प्रदोष व्रत वाले दिन शिव मंदिर में सूखा नारियल चढ़ाएं। 4. प्रदोष पूजा में दौरान सफेद चंदन, आक के फूल, बेलपत्र, रुद्राक्ष, भांग, धतूरा,शमीपत्र चढ़ाएं। 5. नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून। अंक गये कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून॥(दोहावली)