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ज्येष्ठ मास में नवतपा में? क्यो आता हैं?

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ज्येष्ठ मास में नवतपा में? क्यो आता हैं?

ज्येष्ठ मास (हिंदू पंचांग का तीसरा महीना, जो मई-जून में आता है) तप, व्रत, सेवा और संयम का मास माना जाता है। यह मास अत्यंत गर्म होता है और धार्मिक दृष्टि से कई विशेषता लिए होता है, लेकिन कुछ प्राकृतिक, ज्योतिषीय और शारीरिक दोष भी इससे जुड़े माने गए हैं। ज्येष्ठ मास के तीन प्रमुख दोष: ताप दोष (गर्मी और अग्नि तत्व का असंतुलन) • इस मास में सूर्य अपनी उच्चतम स्थिति में होता है (विशेषकर मिथुन संक्रांति के समय)। • इसका असर शरीर की पित्त प्रकृति पर पड़ता है—गर्मी बढ़ती है, जिससे चिड़चिड़ापन, थकावट, त्वचा रोग, डिहाइड्रेशन आदि हो सकते हैं। • यह दोष आहार और दिनचर्या में अनुशासन से ही नियंत्रित होता है। जल दोष (जल तत्व की कमी/अवरोध) • इस महीने में जल स्रोत सूखने लगते हैं, जिससे मनुष्य और जीवों के लिए जल संकट उत्पन्न होता है। • यह एक प्राकृतिक दोष है, जो दान-पु…Read more 3:45 pm यह 25 मई से 2 जून तक होता है। यह नौ दिनों की अवधि बहुत गर्म और ऊर्जा से भरी मानी जाती है। नाड़ी चक्र के अनुसार नो तपा 2025 (25 मई से) नाड़ी चक्र के अनुसार वर्ष का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय कौन सी नाड़ी सक्रिय है: तीन प्रमुख नाड़ियाँ: 1. इड़ा नाड़ी – चंद्र से संबंधित (शीतलता, स्त्रैण ऊर्जा, उत्तर दिशा) 2. पिंगला नाड़ी – सूर्य से संबंधित (गर्मी, पुरूष ऊर्जा, दक्षिण दिशा) 3. सुषुम्ना नाड़ी – मध्य मार्ग (संतुलन, आध्यात्मिक उन्नति) 25 मई 2025 से कौन-सी नाड़ी सक्रिय है? इसका निर्धारण पंचांग और सूर्य के नाड़ी प्रवेश के अनुसार होता है। 2025 में सूर्य वृषभ राशि में होगा और रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर रहा होगा, जो नवतपा के आरंभ की स्थिति होती है। यदि सूर्य पिंगला नाड़ी में प्रवेश करता है तो वर्ष में अत्यधिक गर्मी, सूखा, और अग्निकांड जैसे प्रभाव देखे जाते हैं। यदि सूर्य इड़ा में प्रवेश करता है, तो वर्षा अच्छी होती है, मौसम संतुलित रहता है। सुषुम्ना का संकेत संतुलन और आध्यात्मिक गतिविधियों की ओर होता है। 2025 के लिए नाड़ी अनुमान (सामान्य ज्योतिषीय गणना के अनुसार): • इस वर्ष सूर्य का प्रवेश पिंगला नाड़ी में माना जा रहा है। फल: • तेज गर्मी • वर्षा की असमानता • कुछ क्षेत्रों में सूखा, कुछ क्षेत्रों में अधिक बारिश • किसानों को सतर्क रहना चाहिए • जल संकट की संभावना सप्त नाड़ी चक्र” की बात कर रहे हैं, जो एक विशेष वैदिक प्रणाली है और मौसम, वर्षा, कृषि तथा समाजिक घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए उपयोग होती है। यह सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश (जो नवतपा का प्रारंभ होता है) के समय की स्थिति के आधार पर तय होता है। सप्त नाड़ी चक्र क्या है? सप्त नाड़ी चक्र में सात नाड़ियों के नाम होते हैं, जो इस प्रकार हैं: 1. पिंगला 2. वज्रा 3. चंद्रा (इड़ा) 4. धूम्रा 5. विश्वा 6. शंखिनी 7. सुषुम्ना हर साल सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है (आमतौर पर 24-25 मई के आसपास), तब उस समय घटी, तिथि, वार, नक्षत्र, और लग्न के आधार पर यह देखा जाता है कि सूर्य किस नाड़ी में प्रवेश कर रहा है। उसी के अनुसार वर्ष भर की ऋतु, वर्षा और आपदाओं का अनुमान लगाया जाता है।

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