
नवरात्रों की पूजा करते समय ध्यान देने योग्य यह
विशेष बात है कि
1.एक ही घर में तीन
शक्तियों की पूजा नहीं करनी
चाहिए. देवी को कनेर और सुगन्धित फूल प्रिय है.
इसलिये पूजा के लिये इन्ही फूलों का प्रयोग करें.
2. कलश स्थापना दिन में ही करें, मां की
प्रतिमा को लाल वस्त्रों से ही सजायें. साधना करने वाले
को लाल वस्त्र या गर्म आसन पर बैठकर पूजा करनी
चाहिए.
3. नवरात्रों का व्रत करने वाले उपासक को दिन में केवल एक बार
सात्विक भोजन करना चाहिए. मांस, मदिरा का त्याग करना चाहिए.
इसके अतिरिक्त नवरात्रों में बाल कटवाना, नाखून काटना आदि कार्य
भी नहीं करने चाहिए. ब्रह्मचार्य का
पूर्णत: पालन करना चाहिए. नवरात्रे की
अष्टमी या नवमी के दिन दस साल से कम
उम्र की नौ कन्याओं और एक लड़के को भोजन करा
कर साथ ही दक्षिणा देनी चाहिए.
4. लड़के को भैरव का रूप माना जाता है. कंजकों को भोजन करवाने
से एक दिन पूर्व रात्रि को हवन कराना विशेष शुभ माना जाता है.
कंजकों को भोजन करवाने के बाद उगे हुए जौ और रेत को जल में
विसर्जित कर दिया जाता है. कुछ जौं को जड़ सहित उखाड़कर
समृद्धि हेतू घर की तिजौरी या धन रखने
के स्थान पर रखना चाहिए.
5. कलश के पानी को पूरे घर में छिड़क देना चाहिए.
इससे घर से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. और नारियल को
माता दुर्गा के प्रसाद स्वरूप खा लिया जाता है.
क्षत्रिय का सबसे बड़ा त्योहार
चौमासे में जो कार्य स्थगित किए गए होते हैं, उनके आरंभ के लिए
साधन इसी दिन से जुटाए जाते हैं. क्या आप जानते
हैं कि यह त्योहार क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व है. इस
दिन ब्राह्मण सरस्वती-पूजन तथा क्षत्रिय शस्त्र-
पूजन आरंभ करते हैं. यह तो आप जानते ही होंगे
कि विजयादशमी या दशहरा एक राष्ट्रीय
पर्व है.
अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल
तारा उदय होने के समय 'विजयकाल' रहता है.
यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है. अपराह्न काल,
श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का
मुहूर्त माना गया है. दुर्गा-विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-
प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के
महान कर्म हैं. एक बात आपको बता देना चाहता हूं कि इस दिन
संध्या के समय नीलकंठ पक्षी के दर्शन
को शुभ माना गया है. क्षत्रिय लोग इस दिन प्रातः संकल्प मंत्र
लेते हैं. इसके पश्चात पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र,
अश्व आदि के यथाविधि पूजन की परंपरा है।