
आश्विने मधुमासे वा तपोमासे शुचौ तथा।
चतुर्षु नवरात्रेषु विशेषात् फलदायकम्॥"" माहात्म्य👈🏻〰️
""चैत्रेऽश्विने तथाऽऽषाढे माघे कार्यो महोत्सवः।
नवरात्रे महाराज पूजा कार्या विशेषतः॥"" तृतीय स्कन्ध👈🏻〰️
☝🏻चैत्र नवरात्र— मेष संक्रान्ति (विषुव)
☝🏻आषाढ़ गुप्त नवरात्र— कर्क संक्रांति (अयन)
☝🏻आश्विन नवरात्र— तुला संक्रान्ति (विषुव)
☝🏻 मघा गुप्त नवरात्र— मकर संक्रान्ति (अयन)
📕 देवीभागवत पुराण के तृतीय स्कन्ध २६वे अध्याय में शरत्काल तथा बसन्त ऋतू में नवरात्र व्रत क्यों करते हैं इसको समझाते हुए व्यास जी कहते हैं—
""शृणु राजन्प्रवक्ष्यामि नवरात्रव्रतं शुभम्॥
शरत्काले विशेषेण कर्तव्यं विधिपूर्वकम्॥३॥
वसन्ते च प्रकर्तव्यं तथैव प्रेमपूर्वकम्॥
द्वावृतू यमदंष्ट्राख्यौ नूनं सर्वजनेषु वै॥४॥
शरद्वसन्तनामानौ दुर्गमौ प्राणिनामिह॥
तस्माद्यत्नादिदं कार्यं सर्वत्र शुभमिच्छता॥५॥
द्वावेव सुमहाघोरावृतू रोगकरौ नृणाम्॥
वसन्तशरदावेव सर्वनाशकरावुभौ॥६॥
तस्मात्तत्र प्रकर्तव्यं चण्डिकापूजनं बुधैः॥
चैत्राश्विने शुभे मासे भक्तिपूर्वं नराधिप॥७॥""
जिसका सरल भाषा में अर्थ है शरद ऋतु तथा बसन्त ऋतु प्राणियों लिए यमदंष्ट्रा कही गयी हैं एवम प्राणियों के लिए दुर्गम हैं। ये दोनों ऋतुएं बड़ी भयानक हैं व मनुष्यों के लिए रोग उत्पन्न करने वाली हैं तथा सबका विनाश भी कर सकती हैं। अतः आत्मकल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बड़े यत्न के साथ नवरात्र व्रत करना चाहिए। चैत्र तथा आश्विन मास में भक्तिपूर्वक चण्डिका देवी का पूजन करना चाहिए।