मंगल अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में जन्म लग्न में स्थित होकर पीडित अवस्था में हों,
तो इस व्रत को विशेष रुप से करना चाहीए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल की महादशा, प्रत्यन्तर दशा आदि गोचर में अनिष्टकारी हो तो, मंगल ग्रह की शात्नि के लिये उसे मंगलवार का व्रत करना चाहिए. मंगलवार का व्रत इसीलिये अति उतम कहा गया है. श्री हनुमान जी की उपासना करने से वाचिक, मानसिक व अन्य सभी पापों से मुक्ति मिलती है. तथा उपवासक को सुख, धन और यश लाभ प्राप्त होता है।
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मंगलवार के व्रत के दिन सात्विक विचार का रहना आवश्यक है.
मंगल ग्रह के आधिपत्य देव हनुमानजी हैं।
इन्हें अनुशासन और स्वच्छता अत्यधिक पसंद होती है।।
जिन जातकों की कुंडली में मंगल अशुभ प्रभाव देने वाला हो तो इन जातकों को अनुशासित रहना चाहिए, हमेशा समय का पाबंद होना चाहिए।।
ऐसे जातकों को स्वच्छ अर्थात सुनियोजित तरीके से वस्त्र धारण करने चाहिए।।
अगर आप हनुमानजी की पूजा करते हैं तो रोजाना एक ही क्रम में स्तोत्रादि का पाठ करें और एक निश्चित समय पर अपनी उपासना करें।।
. इस व्रत को भूत-प्रेतादि बाधाओं से मुक्ति के लिये भी किया जाता है और व्रत वाले दिन व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए. इस व्रत वाले दिन कभी भी नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस व्रत में गेहूं और गुड़ का ही भोजन करना चाहिये। एक ही बार भोजन करें। लाल पुष्प चढ़ायें और लाल ही वस्त्र धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करें।
मंगलवार का व्रत भगवान मंगल और पवनपुत्र हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिये इस व्रत को किया जाता है. इस व्रत को किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से आरम्भ करके लगातार 21 मंगलवार तक किया जाता है। इस व्रत को करने से मंगलग्रह की शान्ति होती है. इस व्रत को करने से पहले व्यक्ति को एक दिन पहले ही इसके लिये मानसिक रुप से स्वयं को तैयार कर लेना चाहिए. और व्रत वाले दिन उसे सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. प्रात: काल में नित्यक्रियाओं से निवृ्त होकर उसे स्नान आदि क्रियाएं कर लेनी चाहिए. उसके बाद पूरे घर में गंगा जल या शुद्ध जल छिडकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए. व्रत वाले दिन व्यक्ति को लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
घर की ईशान कोण की दिशा में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए. पूजन स्थान पर चार बत्तियों का दिपक जलाया जाता है. और व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद लाल गंध, पुष्प, अक्षत आदि से विधिवत हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
पहले उठना चाहिए. प्रात: काल में नित्यक्रियाओं से निवृ्त होकर उसे स्नान आदि क्रियाएं कर लेनी चाहिए. उसके बाद पूरे घर में गंगा जल या शुद्ध जल छिडकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए. व्रत वाले दिन व्यक्ति को लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
घर की ईशान कोण की दिशा में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए. पूजन स्थान पर चार बत्तियों का दिपक जलाया जाता है. और व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद लाल गंध, पुष्प, अक्षत आदि से विधिवत हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
श्री हनुमानजी की पूजा करते समय मंगल देवता के इक्कीस नामों का उच्चारण करना शुभ माना जाता है।
मंगल देवता के नाम इस प्रकार है
1.मंगल 2. भूमिपुत्र 3. ऋणहर्ता 4. धनप्रदा 5. स्थिरासन 6. महाकाय 7. सर्वकामार्थसाधक 8. लोहित 9. लोहिताज्ञ 10. सामगानंकृपाकर 11.धरात्मज 12. कुज 13. भौम 14. भूमिजा 15. भूमिनन्दन 16. अंगारक 17. यम 18. सर्वरोगहारक 19.वृष्टिकर्ता 20. पापहर्ता 21. सब काम फल दात
हनुमान जी का अर्ध्य निम्न मंत्र से किया जाता है :
भूमिपुत्रो महातेजा: कुमारो रक्तवस्त्रक:।
गृहाणाघर्यं मया दत्तमृणशांतिं प्रयच्छ हे।
इसके पश्चात कथा कर, आरती और प्रसाद का वितरण किया जता है. सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर स्वयं प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
मंगलवार व्रत का उद्ध्यापन
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मंगलवार के इक्कीस व्रत करने के बाद इच्छा पूर्ति करने के लिये मंगलवार व्रत का उद्धापन किया जाता है. उद्ध्यापन करने के बाद इक्कीस ब्रहामणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान -दक्षिणा दी जाती है।
