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महाशिवरात्रि

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महाशिवरात्रि

इस महाशिवरात्रि बन रहा है नीलकंठ स्वरूप
जटिलताओं को कंठ में लिएआज सारासमाज…
नीलकंठ…. योग.. अभिजीत मुहूर्त भी है..इस वर्ष महाशिवरात्रि 18 मार्च 2023, शनिवार को इस बार शिवरात्रि शाम को 6:00 बजे के बाद से 19 फरवरी शाम को 3:45 तक है..
महाशिवरात्रि चन्द्र के साथ शनि। शिव रूप में है। मीन राशि में गुरु और शुक्र देवताओं और असुरों के गुरु साथ-साथ शनिवार के दिन महाशिवरात्रि यह योग शिव जी के साथ साथ जब घटित होता है। चाहे चन्द्र शनि की युति हो या न हो।
शुभ मुहूर्त-
निशीथ काल पूजा मुहूर्त - रात्रि 12:04:41 से रात्रि 12:14 तक।
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त - सुबह 06:36:06 से दोपहर 15:04:32 तक।
शि
व पुराण समेत शिवजी के स्वरूप का वर्णन करने वाले ग्रन्थों में शिवजी को जटाओं के मुकुट से मंडित और सर्प के आभूषणों से अलंकृत बताया जाता है। भस्म उनका अंगराग हैं और बाघाम्बर जैसा वस्त्र। उन्हें उपेक्षित आंकड़े का फूल और काँटेदार बिल्वपत्र ही प्रिय हैं। मानो जीवन की जटिलताओं और अन्यों के अप्रिय को शिव सहज स्वीकार ही नहीं करते, अपना श्रृंगार बना लेते हैं। हमें सिखाते हैं कि जीवन की उलझनों और गृहस्थी के दबाव से घबराना नहीं चाहिए। जो गृहस्थ इनके दबाव में न आकर इनका उपयोग करने की कला सीख जाता है, उसी की गृहस्थी शिव-सी मङ्गलमय हो पाती है।
क्योकिं शिव ने चन्द्र को सिर पर धारण कर रखा है। शिव के साथ साथ देवी ने भी। स्त्री व पुरुष दोनों ही चन्द्र को धारण करते हैं। इस जीवन में दुख व सुख रूपी विष सबको पीना पड़ता है। न गले से बाहर निकलता है, न पेट मेण उतारा जा सकता है। सबको नीलकंठ बनना पड़ता है।


शिवरात्रि अघोर रात्रि… क्यों?
सबका जन्म दिन होता है क्या आपने कभी सोचा है कि शिव ही एक मात्र ऐसे है जिनके जन्मदिन को शिवरात्रि कहा जाता है. इसका भी एक कारण है रात्रि का मतलब शाब्दिक नहीं है यहाँ रात्रि का अर्थ कुछ और है।
यहाँ रात्रि से अभिप्राय ये है कि पाप, अन्याय, बुराइयाँ. जब काल के साथ साथ मनुष्य नीचता की और बढ़ता चला गया उस समय की तुलना रात्रि से की गयी है और उस गहरी रात्रि को शिव प्रकट होते है अर्थात जन्म लेते है।
शिव के जन्म की रात्रि के बाद रात्रि अर्थात अन्धकार का अंत हो जाता है और मनुष्यता एक बार फिर उन्नत हो जाती है।
महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि-

रात्रि में सबका पूजन उत्तर दिशा में मुख करके करें।शिव का पूजन तो हमेशा उत्तर मुख ही करें-
शिवपूजन मे दक्षिण में बैठकर उत्तराभिमुख होकर पूजन करें ।न प्रतीचीं यतः पृष्ठमतो दक्षं समाश्रयेत् ॥
भस्म त्रिपुंड तथा रूद्राक्ष धारण करके ही पूजा सफल मानी गई है--
विष्णु, शिव या देवी पूजा से पहले सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें-
पुष्प दान अवश्य करें-
गाय का घी न हो तो शुद्ध तैल का दीपक भी दे सकते हैं--
प्रातः हाथ में जल लेकर संकल्प करें--
“मन्त्रेणानेन गृह्नीयान्नियमं भक्तिमान्नरः ।शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येऽहं महाफलम् ।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते ॥
चतुर्दश्यां निराहारो
भूत्वा शम्भो परेऽहनिभोक्ष्येऽहं भुक्तिमुक्त्यर्थं शरणं मे भवेश्वर ॥
अर्थात्आज मैं निराहार रहकर आपका व्रत करूंगा

महाशिवरात्री व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन, भगवान भोले नाथ का ध्यान करना चाहिए।
प्रात: स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण की जाती है।
इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप, पुष्पादि व अन्य पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए।
इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में "उँ नम: शिवाय" व " शिवाय नम:" का जाप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस
लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशिथ काल में करना उत्तम माना गया है।
हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

चार पहर की पूजा विशेष

महाशिवरात्रि पर विधि विधान
माना जाता है कि सृष्टि के प्रारम्भ में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। लेकिन इस दिन भगवान शिव की पूजा चारो पहर करने से जीवन के सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होने के बाद अंत में भगवान शिव की चरणो में स्थान प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि का हर क्षण शिव कृपा से भरा हुआ होता है। लेकिन इस दिन मध्य रात्रि में की गई पूजा विशेष लाभ देती है। यह चार पहर संध्या काल से शुरू होकर दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में जाकर समाप्त होते हैं। महाशिवरात्रि की इस पूजा में रात्रि का संपूर्ण उपयोग किया जाता है। जिससे भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त हो सके। भगवान शिव की चारो पहर की पूजा मुख्यत: जीवन के चारो अंगों को नियंत्रित करती है। यह जीवन के चार अंग हैं धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष।
जो भगवान शिव की पूजा से
महाशिवरात्रि के दिन हर पहर की पूजा का एक विशेष विधान होता है। जिसका पालन करने से आप विशेष लाभ की प्राप्ति कर सकते हैं।

1#महाशिवरात्रि# के पहले पहर की पूजा शुक्र के होरा में शाम को 5:55से 6:55तक
शाम के समय में की जाती है। यह पूजा प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद की जाती है। महाशिवरात्रि पर इस पहर की पूजा से ही सभी प्रकार के दोषों का नाश हो जाता है और आपको इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है। शुक्र, बुध की होरा के लिए धन-संपत्ति, व्यापार व्यवसाय, वैवाहिक जीवन आदि के लिए शहद में गंगा जल मिलाकर अभिषेक करें.. और चंद्रमौलेश्वर मंत्र का जाप करें..दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
यदि आप पहले पहर की पूजा करते हैं तो आपका धर्म मजबूत होता है।

दूसरे पहर की पूजा-
महाशिवरात्रि के दिन दूसरे पहर की पूजा शनि और गुरु की होरा में रात में करें
.
यह पूजा रात 8:45 रात्रि 11:45 के बीच में की जाती है। इस पूजा में भगवान शिव को दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।।घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होती है। इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक सरसों के तेल या काले तिल से करें इससे आपके रोग दोष और शत्रुओं का नाश होगा. केसर, हल्दी डालकर इस पहर की पूजा में भगवान शिव के मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।
दूसरे पहर की पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


तीसरे पहर की पूजा-
महाशिवरात्रि पर तीसरे पहर की पूजा शुक्र की होरा में करें

मध्य रात्रि में की जाती है। इस पूजा को करने का समय रात्रि 12 बजकर 48 मिनट से सुबह 3 बजकर 49 मिनट तक का होता है। इस पहर में भगवान शिव की स्तुति करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस पूजा से हर प्रकार की मनोकामना की पूर्ति होती है।गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी प्राप्ति होती है.


चौथे पहर की पूजा-
महाशिवरात्रि की चौथे पहर की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है। यह शनि की होरा में

यह पूजा सुबह के 3 :42 से 4:42 तक की जाती है। इस पूजा से सभी प्रकार के नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है..तीर्थ जल से अभिषेक करने पर — मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से — बीमारी नष्ट होती है ।
5से सूर्योदय तकअगले दिन रविवार होने से सूर्य की होरा में पूजन करें..
सुबह क्षमा प्रार्थना करें-

क्षमस्व जगतां नाथ त्रैलोक्याधिपते हर ।यन्मयाद्य कृतं पुण्यं तद्रुद्रस्य निवेदितम् ॥त्वत्प्रसादान्मया देव व्रतमद्य समर्पितम् ।प्रसन्नो भव मे श्रीमन् मद्भूतिं प्रतिपद्यताम् ।त्वदालोकनमात्रेण पवित्रोऽस्मि न संशयः ॥”
अगले दिध ब्राह्मणों को दानादि देकर व्रत खोलें
राशि अनुसार करे मंत्र जाप और करे भोलेबाबा को प्रसन्न
मेष राशि
मेष राशि वाले इस महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा के बाद 'ह्रीं ओम नम: शिवाय ह्रीं' मंत्र का जप 108 बार करें।
वृष राशि
वृष राशि वाले जातक ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करें। शिवरात्रि पर भगवान शिव की इस प्रकार पूजा करने से ऊर्जा का विकास होता है और कार्य क्षमता बढ़ती है और परिवार के बीच प्यार बढ़ता है।
मिथुन राशि
इस राशि वाले लोग शिवरात्रि के दिन महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ओम नमो भगवते रूद्राय मंत्र का जप करें।
कर्क राशि
शिव पूजा के बाद भक्त ओम हौ जूं स: इस मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जाप से सुख समृद्धि में बढ़ोतरी होगी।
सिंह राशि
सिंह राशि वाले लोग इस महाशिवरात्रि को ह्रीं ओम नम: शिवाय ह्रीं का कम से कम 51 बार मंत्र का जप करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले ओम नमो भगवते रूद्राय मंत्र का जप करें। इस मंत्र के जप से कन्या राशि वाले जातकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा
तुला राशि
तुला राशि वाले इस शिवरात्रि शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का 108 बार जप करें।
वृश्चिक राशि
इस राशि के लोग शिवरात्रि के दिन ह्रीं ओम नम: शिवाय ह्रीं मंत्र का जप करें।
धनु राशि
शिवरात्रि के दिन चन्द्रमा कमजोर होता है। धनु राशि वाले जातक इस दिन ओम तत्पुरूषाय विध्म्ये महादेवाय धीमाह। तन्नो रूद: प्रचोदयात के मंत्र का जप करने से चंद्रमा मजबूत होता है और शिव जी की कृपा मिलती है।
मकर राशि
इस राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने के लिए ओम नम: शिवाय का जप करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के स्वामी शनिदेव है। इसलिए इस राशि के जातक मकर राशि की तरह ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
मीन राशि
इस राशि के लोग जितना हो सके उतनी बार ओम तत्पुरूषाय विघ्म्हे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र प्रचोदयात् मंत्र का जप करना चाहिए।
:🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️!!!
अंजना गुप्ता इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजर

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