वैश्वीकरण प्रणाली में कई मायनों में ज्योतिष और फल कथन की वाट लगा दी है जहां ज्योतिष का मुख्य उद्देश पहले से फल कथन करना था वह एस्ट्रोफिजिक्स में अनुमान लगाना कह सकते हैं आज यह क्षेत्र बहुत बेहद है और इसमें मेडिकल क्षेत्र के बारे में विशेष रूप से काम हो रहा है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था में व्यापार निवेश प्रवास असमानता पर्यावरण सांस्कृतिक पहचान कृषि और रोजगार के साथ-साथ भारतीय उद्योग में समाज में परिवर्तन की भी पहल हो रही है विश्व के सभी लोगों ने एकजुट होकर कार्य करने की प्रक्रिया को ही वैश्वीकरण कहते हैं यानी ग्लोबलाइजेशन या और ग्लोबलाइजेशन कहते हैंपूरा विश्व के लोग एकजुट होकर काम करते हैं इसे ही वैश्वीकरण का नाम दिया गया है संपूर्ण विश्व में हमारा भारत पहले से ही विश्व कुटुंबकम के रूप में भारत की प्राचीनतम कर प्रणाली रही है दुनिया भर के लोगों के मध्य ऐसी प्रक्रिया जिसमें राजनीतिक सामाजिक आर्थिक तकनीकी टैक्टर का संयोजन होता है और ज्योतिष शास्त्र यहां पूर्व अनुमान और ग्रहों की संकेत और उथल-पुथल का पूर्व लोकल कर सकता है और आर्थिक स्तर पर जहां राहु और शुक्र का प्रभाव दूर संचार टेलीग्राम माइक्रोचिप इंटरनेट आदि में विभिन्न देशों के बीच संचार प्रणाली को बढ़ा दिया है आपस में विचारों को वस्तुओं को पूंजी निवेश को व्यक्तियों के प्रवाह को बुध ग्रह भी अछूता नहीं कह सकते हैं चार बड़े प्रमुख ग्रहों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है किसी भी लंबे समय तक प्रभाव डालने के लिए जहां हम चार मुख्य बातों को रखेंगे वहां चार ग्रह कम कर रहे होते हैं। 1* विश्व बंधुत्व की भावना जो कि गुरु ग्रह का प्रबल प्रभाव देखा जा सकता है.. विस्तार एवं समानता और विवेक का फल देते हैं गुरु यह परिवर्तन अर्थव्यवस्था के रूप में जब गुरु की धनु राशि आती है तो लक्ष्य का निर्धारण करती है और शुरू हो जाता है एक नया स्ट्रक्चर परंतु नक्षत्र अगर मूल का हो धनु राशि में तो समूल को नष्ट करके नया आयाम देने पर बाध्य हो जाता है सारा जनमानस। 2* आर्थिक समानता की यह न्याय प्रणाली व्यवस्था आर्थिक समानता की बात शनि ही करते हैं शनि एक डंडा अधिकारी हैं और समानता के लिए गरीब और अमीर के लिए शनि कर्क होकर पलटबार के रूप में काम करते हैं । सनी जहां पर 6 राशियों पर अपना प्रभाव रखते हैं वहीं 90 से 100 वर्ष के बीच एक नई व्यवस्था को अंजाम देते हैं और यह मकर के शनि की ताकत होती है जो कि बैलेंस व्यवस्था को चलने पर मजबूर करती है जैसा कि सभी को मालूम है कि मकर राशि में बकरे के रूप में बैलेंस व्यवस्था को देखा जा सकता है जहां कुंभ राशि का शनि होता है वहां से शुरू होता हैं बंटवारे का कार्य। 3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राहु की महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा दिमाग के बिना तरंगों की तरह होती है और आज इंटरनेट भी वही व्यवस्था है जो ज्योतिष में छाया ग्रह की तरह सारी तंत्र व्यवस्था को अपनी गिरफ्त में लिए हुए हैं राहु वैसे तो मायावी ग्रह है, परंतु आपस में जोड़ने का कार्य भी बखूबी करता है! 4. विकास विश्व में सभी देशों को एकीकृत करने व अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में ग्रहों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। केतु ग्रह को बहुरंगी कहा जाता है नया संगठन बनाने से पहले पुराना तोड़ना यह केतु को भी बहुत अच्छे से आता है इसे हम विकास में देखें तो बहुत अच्छा है जहां पर चंचल और नपुंसक ग्रह जिसे हम बुद्ध कहते हैं व्यापार में एक बहुत अच्छी साझेदारी में काम करता है इंटरनेशनल नंबर को पांच नंबर दिया है जो कि बुद्ध का होता है यह साल में सबसे ज्यादा बार बकरी होता है और मार्गी होता है और हमेशा कई ग्रहों से जुड़ता है और हटता है और नया पुराना दोनों ही क्या कह सकते हैं आदान प्रदान करने में काम करता है जब जिस भाव में जिस ग्रह से जूता है वैसा ही समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव छोड़ जाता है तो हम इस तरह जान सकते हैं कि 4 बड़े ग्रह के अलावा बुध ग्रह भी हमारे लिए बहुत महत्व होता है। ज्योतिष पर लोग विश्वास इसलिए करते हैं कि वह धार्मिक वजह होती है फिर अगले रूप में वह नई परेशानी के रूप में फिर से ज्योतिष से जुड़ जाता है और कुछ ज्ञान से कुछ बुद्धिमानी से या किसी कारण से पुनः व्यक्ति ट्रस्ट करते हैं और फिर से लोग जुड़ जाते हैं। ज्योतिष इस तरह से मुख्य रूप से चार स्थानों मैं महत्वपूर्ण परिवर्तन डालता है 1.राजनीतिक में प्रभाव होता है ज्योतिष की भूमिका 2. सांस्कृतिक/समाजिक में होती है 3.अर्थव्यवस्था के प्रभाव में होती है 4.स्वास्थ्य में प्रभाव डालता है
वैश्विक आर्थिक विकास मे भूमिका.. व्यवसायों के प्रकार का निर्णय ग्रहो के स्वरुप, बल आदि पर निर्भर करता है। जो ग्रह अत्यधिक बलवान होकर, लग्र, लग्रेश,दशम आदि विना के परिचायक पक्षो पर प्रभाव डालता है, वह ग्रह आजीविका के स्वरुप अथवा प्रकार प्रकृति का 'धोतक' बतलाने वाला होता है। अतः ग्रहो के स्वरुप का ज्ञान आजीविका के निर्णय करने के लिए अत्यावश्यक है। इसी तथ्य को दृष्टि में रखते हुए वैश्विक वित्तीय बाजार मे भी बदलाव आता है...क्रमशः