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षड्शीति मुख संक्रान्ति धनु मलमास

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षड्शीति मुख संक्रान्ति धनु मलमास

धनु संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं इसके बाद से खरमास लग जाते हैं और सारे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। षड्शीति मुख संक्रान्ति षड्ङ्गीति का मतलब है 86 । तुला राशि के आदि बिन्दु अर्थात चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण के प्रारम्भ बिन्दु से 86 वें दिन प्रथम षड्शीति मुख संक्रान्ति होती है। यह संक्रान्ति वर्ष में चार बार द्विस्वभाव राशियों धनु, मीन, मिथुन और कन्या में होता है। यह सूर्य संक्रान्ति होती है। तुलादि से 86 वें दिन अर्थात धनु राशि के 26 अंश पर, फिर मीन के 22 वें अंश पर फिर मिथुन के 18वें अंश पर और फिर कन्या के 14वें अंश पर षड्शीति मुख संक्रान्ति का काल होता है। इन चार संक्रान्तियों का बड़ा महत्व होता है। कन्या षड्शीति मुख से तुलादि षड्शीति, षडशीति मुख संक्रान्ति के मध्य के 16 दिन अति विशिष्टता रखते हैं। कन्या राशि के सूर्य में जो 16 दिन षडशीतिमुख संक्रान्ति रहित रह जाते हैं। ये यज्ञों के तुल पुण्य फल देने वाले होते हैं। इन दिनों में पितरों के निमित्त तर्पणादि और दान-पुण्य किया जाते हैं। इन दिनों किये गये दान-पुण्य से पितर प्रसन्न होते हैं। ये सोलह दिन श्राद्ध पक्ष के होते हैं। हिंदू धर्म में प्रत्येक रीति-रीवाजों पर संपूर्ण ध्यान दिया जाता है। हर पूजा पद्धति को पूरे विधि-विधान से निभाया जाता है। अब 16 दिसंबर 2023 दिन शनिवार यानी कल सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास लग जाएगा और इस दिन से सारे मांगलिक कार्य रोक दिए जाएंगे। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने को धनु संक्रांति भी कहा जाता है। ऐसे में कोई भी शुभ कार्य करना हिंदू धर्म के अनुसार शुभ फलदायक नहीं माना जाता है। खासकर विवाह जैसे शुभ कार्यक्रमों पर तो पूर्ण रूप से विराम लगता ही है इसी के साथ अन्य शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाती है। आइए जानते हैं आचार्य श्री गोपी राम से खरमास कितने बजे से लगने जा रहा है और इस दौरान क्या करें और क्या नहीं। 🐚 कब से कब तक रहेगा खरमास खरमास 16 दिसंबर 2023 दिन शनिवार को शाम 3 बजकर 59 मिनट पर सूर्य के धनु राशि में आते ही लग जाएगा और 15 जनवरी 2024 में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब खरमास का समापन हो जाएगा। खरमास की इस लिहाज से कुल अवधि 1 महीने की रहेगी। इस दौरान सारे मांगलिक कार्य हिंदू रीति-रीवाज के अनुसार नहीं किए जाते हैं। धनु संक्रांति की तिथि =============== इस साल धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2023, शनिवार को है। सूर्य के धनु राशि में जाते ही मलमास लग जाते हैं। सूर्य की गति धीमी हो जाती है। धनु राशि के स्वामी बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो जाता है। यही वजह है कि मांगलिक कार्य के लिए ये अवधि अशुभ मानी जाती है। खरमास का समापन एक माह बाद मकर संक्रांति पर होता है। धनु संक्रांति का मुहूर्त ============== धनु संक्रांति पर सूर्य शाम 04 बजकर 09 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस दौरान पुण्य या महापुण्य काल में तीर्थ स्नान, सूर्य पूजा करने से आरोग्य प्राप्त होता है।

धनु संक्रान्ति पुण्य काल - शाम 04:09 - शाम 05:26

अवधि - 01 घण्टा 17 मिनट्स

धनु संक्रान्ति महा पुण्य काल - शाम 04:09 - शाम 05:26

अवधि - 01 घण्टा 17 मिनट्स

धनु संक्रांति का महत्व ================ सनातन धार्मिक परंपरा में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा गया है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य देव सभी ग्रहों के राजा हैं। यही वजह है कि जब कभी भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो उस दिन सूर्य की पूजा करने से मान-सम्मान में वृद्धि, बल, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। साधक के राजयोग करने के योग बनते हैं। करियर में उच्च अधिकारी के पद पर बैठने की कामना पूरी होती है। यही वजह है कि धनु संक्रांति पर स्नान-दान, सूर्य पूजा का महत्व है। हालांकि इस दिन से एक महीने तक विवाह, मुंडन, गृह प्रेवश करना वर्जित है, ऐसे में जो लोग नए कार्य की शुरुआत या कोई मांगलिक काम करना चाहते हैं तो धनु संक्रांति से पहले उससे पहले कर लें। 💁🏻‍♀️ खरमास में क्या करें ✍🏼 मान्यता है कि खरमास के दिन रोज प्रातः स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। अर्घ्य देने से पहले तांबे के पात्र में कुमकुम, लाल गुलहड़ का फूल, अक्षत डाल कर तभी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करें। ✍🏼 सूर्य अर्घ्य देने के बाद सूर्य भगवान के मंत्रों का जाप करें। मंत्र इस प्रकार से ऊं घृणिः सूर्याय नमः। ✍🏼 खरमास में रविवार के दिन सूर्य भगवान के निमित्त व्रत करने और सूर्य चालीसा का पाठ करने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। 🍱 खरमास के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। 🔹 इस दौरान आप गुरु बृहस्पति की पूजा भी कर सकते हैं क्योंकि धनु राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति ही हैं। इसी के साथ आप भगवान नारायण की उपासना नित्य कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके जीवन में चल रहे समस्त कष्ट मिट जाएंगे। 🔹 गुरु बृहस्पति के मंत्र का जाप करना खरमास के दौरान आपके लिए लाभदायक होगा। मंत्र इस प्रकार से ऊँ ब्रं बृहस्पति नमः_ 🔹 खरमास के दौरान जितना हो सके भगवान सत्यनारायण का भजन और उनकी कथा का श्रवण करें। मंदिरों में दान-पुण्य करें और शाम को सूर्यास्त के बाद दीपदान करें ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी। 🤷🏻‍♀️ खरमास में क्यां नहीं करें ◼️ खरमास के दौरान सारे मांगलिक कार्य करने की मनाही है तो ऐसे में आप कोई भी शुभ कार्य न करें। ◼️ इस दौरान विवाह पर तो पूर्ण विराम लग ही जाता है साथ ही विवाह से जुड़ा कोई भी शुभ कार्य भी न करें, जैसे की शादी के लिए वर-वधु ढूंढना, रिश्ता तय करना इत्यादि। ◼️ खरमास में कोई भी कार्य जो पूजा अनुष्ठान और संकल्प से जुड़ा हो उसे न करें। ◼️ इस दौरान मुंडन, नाम करण संस्कार, ग्रह प्रवेश करना, कोई नया वाहन घर लाना या खरीदना आदि कार्य भी नहीं करने चाहिए। हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है, हर माह सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस राशि के नाम पर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति के अलावा साल में धनु संक्रांति का भी खास महत्व है, क्योंकि धनु संक्रांति के बाद से एक महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता। धनु संक्रांति से खरमास लग जाते हैं, हालांकि ये दिन स्नान-दान, पूजा, मंत्र जाप के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।  

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