रोगमुक्ति विशेष मंत्र
रोगमुक्ति के लिए यह एक विशेष मंत्र है।अगर बार बार बीमार होते हैं या औषधि दबाई नहीं लग रही तो ये प्रयोग अवश्य करें। रोगी स्वयम् या कोई भी साधक किसी भी मंगलवार को इस प्रयोग को प्रारंभ कर सकते हैं।
गुरुदेव गणपति को प्रणाम कर संकल्प लेंगे। एवं सर्वप्रथम हनुमानजी के चित्र या यंत्र का गंध अक्षत, पुष्प धूपदीप नैवेध् (भोग) से पूजन करेंगे। एवं राम ध्वनि श्रीराम जयराम जयजय राम की कीर्तन ध्वनि करेंगे। एवं रोग मुक्ति की प्रार्थना करेंगे।
अब एक तांबे का गिलास लेकर उसे जल से भर दें उसमें चिरमी रत्तक या लाल गुंजा के 3 दाने डाल दें।
ओर फिर उस गिलास को अपने सामने रख कर निम्न लिखित मंत्र को 21 बार पढ़ कर 21फूंक मारनी है। यानि एक बार मंत्र उच्चारित करें और फूंक मारें।
मंत्र:- जै जै गुणवन्ती वीर हनुमान
रोग मिटे ओर खिले खिलाव
कारज पूरण करे पवनसुत
जो न करे तो माँ अंजनी की दुहाई
शब्द साँचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
मंत्र के पश्चात वह पानी रोगी को पिला दें ओर गिलास के अंदर बचे चिरमी के दानों को निकाल कर रोगी के चारों ओर घुमा कर घर से बाहर कहीं दक्षिण दिशा की तरफ फेंक दें।
3 मंगलवार लगातार यह प्रयोग करने से रोगी आशातीत लाभ प्राप्त करता है और पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।