व्यक्ति की हवेली उसके भूत, वर्तमान और भविष्य का दर्पण होती है। हथेली में स्थित रेखाओं से उसके जीवन के विविध पक्षों के बारे में त्रिकाल संबंधी जानकारी प्राप्त हो सकती है। जहाँ तक व्यक्ति के प्रेम संबंधों का प्रश्न है, हस्तरेखाओं से इस संबंध में सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।

कनिष्ठिका अंगुली के नीचे हथेली के किनारे से अंदर की ओर आने बाली रेखाएँ प्रणय (Affection) या विवाह रेखा के रूप में पहचानी जाती हैं। सामान्यतः यह माना जाता है कि एक हाथ में जितनी विवाह या प्रणय रेखाएँ होती हैं, व्यक्ति के उतने ही विवाह होते हैं, लेकिन यह धारणा सत्य नहीं हैं। वस्तुतः प्रणय रेखाएँ उन विपरीत लिगियों की संख्या दर्शाती हैं जिनके प्रति व्यक्ति का लगाव या आकर्षण होता है। यह आवश्यक नहीं है कि उत्तने ही विपरीत लिंगी व्यक्ति उसके प्रति आकृष्ट होते हों अथवा उसके उतने ही व्यक्तियों से प्रेम संबंध चल रहे हों। यदि किसी विपरीत लिंगी के साथ मानसिक रूप से आकर्षण या लगाव होता है तो भी प्रणय रेखाएँ निर्मित हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त यदि किसी हाथ में प्रणय रेखा नहीं है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उस व्यक्ति का विवाह नहीं होगा।

यदि प्रणय रेखा एक से अधिक हैं और उनमें से एक रेखा तुलनात्मक रूप से अधिक लालिमायुक्त, गहरी एवं निर्दोष है तो इसका अभिप्राय यह है कि जातक यद्यपि एक से अधिक स्त्री अथवा पुरुषों के प्रति आकृष्ट है किंतु उनमें से एक के प्रति उसका लगाव सर्वाधिक है।

व्यक्ति का किसी एक स्त्री अथवा पुरुष के प्रति आकर्षण एवं लगाव आरंभ में कम था किंतु बाद में धीरे-धीरे प्रगाढ़ होता गया है। ऐसी स्थिति प्रायः पत्नी या पति के प्रति होती है। अतः ऐसी रेखा को विवाह रेखा माना जाता है।
यदि किसी व्यक्ति की दो से अधिक प्रणय रेखाएँ, हों और वे रेखाएँ पतली, कम गहरी एवं कम लालिमायुक्त हैं तो ऐसा व्यक्ति आशिक मिजाज का होता है और वह अनेक विपरीत लिंगी व्यक्तियों से संबंध रखने का शौकीन होता है। ऐसे व्यक्तियों से प्रेम संबंध रखने में सावधानी रखनी चाहिए।

यदि प्रणय रेखा आरंभ में द्विशाखा के रूप में हो तथा बाद में बिना किसी अवरोध के अपेक्षाकृत मोटी और गहरी रेखा के रूप में परिवर्तित हो जाती हो तो यह व्यक्ति के घनिष्ठ प्रेम संबंध को प्रदर्शित करती है।
यदि आरंभ में प्रणय रेखा एक किंतु बाद में वह दो शाखाओं में विभक्त हो जाए तथा उन शाखाओं में आपस में दूरी अधिक हो तो यह स्थिति आरंभ में प्रेम की घनिष्ठता किंतु बाद में प्रेम संबंधों के टूटने की सूचक होती है।
में वह दो शाखाओं में विभक्त हो जाए, तो वह स्थिति आरंभ में प्रेम की घनिष्ठता किंतु बाद में प्रेम में कमी को प्रदर्शित करती है।

यदि प्रणय रेखा में द्वीप हो तो ऐसी स्थिति प्रेम संबंधों में तनाव, विरक्ति, दूरी आदि की आशंका को व्यक्त करती है। यदि प्रणव रेखा एक ही है और उस पर द्वीप है तो यह विवाह रेखा के रूप में जानी जाती है और कलहपूर्ण दाम्पत्य जीवन की सूचक होती है।

यदि प्रणय रेखा एक है और वह श्रृंखलायुक्त है तो ऐसा व्यक्ति प्रेम के संबंध में प्रायः उदासीन रहता है। ऐसे व्यक्ति के प्रेम संबंध विवाह में परिणत नहीं होते हैं।

यदि प्रणय रेखा में अवरोध है अर्थात् वह या तो कट रही है अथवा बीच में वह टूट रही है तो यह प्रेम संबंधों में तनाव एवं प्रेम संबंधों के टूटने की सूचक होती है। प्रणय रेखा को अनुपात में जिस स्थान पर वह कट रही है उस तक मापने पर जो आयु आती है लगभग उसी आयु पर प्रेम में तनाव और टूटने की संभावना होती है।

यदि प्रणय रेखा के अंत में स्टार चिह्न हो तो ऐसी स्थिति में प्रेम संबंध टूटते हैं तथा उनका पता सभी को लग जाता है। प्रेम संबंध टूटते समय विवाद और तनाव का सामना करना पड़ता है।