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आखिर क्यो शनि की साढ़ेसाती के नाम से ही लोग डरते है?

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आखिर क्यो शनि की साढ़ेसाती के नाम से ही लोग डरते है?

शनि साढ़ेसाती के रूप में शनि तीन राशियों पर एक साथ गोचर करते है।
तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढ़ेसाती के तीन चरण के नाम से जाना जाता है।

आज हम आपको ये बता रहें की साढ़ेसाती किस प्रकार अपना काम करती है।
अलग-अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग-अलग फल देते है।
जिस व्यक्ति को यह पता जाये की उसे शनि की साढ़ेसाती चल रही है, तो वह व्यक्ति यह सुनकर ही मानसिक अवसाद (दबाब) में आ जाता है।

आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर कई प्रकार के नकारात्मक विचार उसके मन में आने लगते है। आजकल शनि की साढ़ेसाती को लेकर कई प्रकार के भ्रम फेले हुयें है।
सत्यता में साढ़ेसाती का रुप कुछ अलग होता है।

आईये हम आपको आज शनि के चरणों को समझाने का प्रयास करते है-

साढ़ेसाती के विभिन्न चरणों का फल विभिन्न राशियों के लिये कैसा होता है

प्रथम_चरण में :-

इस समयावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है।
सोचे गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है। धन के विषयों में साढ़ेसाती के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ या चालू नहीं हो पाती है। और अचानक से धन हानि हो जाती है। और उस व्यक्ति को अनिद्रा में का रोग भी हो सकता है। स्वास्थय में निरंतर गिरावट के योग बनते है। विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनते हुए भी बिगड जाते है। और यह समय उस व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है। मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य सी बात हो जाती है। दांम्पय जीवन में बहुत कठिनाई आती है। जितनी मेहनत करतें हैं उसके अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है।

द्वितीय_चरण में :-

उस व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती के इस समय में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते है। और उसे सगे-संबन्धि भी कष्ट देते है। उसे अधिक यात्रायें करनी पड़ती है लेकिन कोइ काम फिर भी नही बन पाता है। दिन रात श्रम करने भी अच्छा फल नही मिलता है। घर-परिवार से दूर रहना पड सकता है। कभी-कभी रोगों में वृ्द्धि हो जाती है। संपति से संम्बन्धित विवाद परेशान करते है। किसी भी मित्र का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है। काम के बार-बार बाधित होने के कारण जातक के मन में निराशा के भाव आते रहते है। काम को पूरा करने के लिये सामान्य से अधिक
पूरा करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पडते है। आर्थिक परेशानियां भी निरंतर बनी रह सकती है।

तीसरा_चरण :-

शनि साढ़ेसाती के तीसरे चरण में जातक के भौतिक सुखों में कमी होती है। उसके अधिकारों में कमी होती है।
आय की तुलना में खर्च अधिक होने लगते है। स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आये दिन आने लगती है।
परिवार में शुभ कार्यो बाधित होकर पूरे होते है। वाद-विवाद के अकारण ही योग बनते है। संतान से विचारों में मतभेद होने लगते है। संक्षेप में यह अवधि जातक के लिये लाभकारी नहीं रह्ती है। जिस किसी भी जातक की जन्म की चन्द्र राशि पर शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण चल रहा हों, उस जातक को वाद-विवाद से बचके रहना चाहिए।

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