
विश्वकर्मा जयंती माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रदोष को मनाया जाता है।
विष्णु क्षीरसागर में शेष-शैया के साथ प्रकट हुये थे, तब उनकी नाभि से एक कमल निकाला था भगवान ब्रह्माजी के पुत्र धर्म हैं, उन्हे धर्म के पुत्र वास्तुदेव हैं जिनकी शादी अंगीरसी नामकी कन्या से हुआ था। वस्तुदेव और अंगीरसी के पुत्र भगवान विश्वकर्मा जी हैं।
विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार हैं तथा भगवान ब्रह्मा जी के निर्देश अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी सारी सृष्टि के सृजनकर्ता भी हैं। इस सारी सृष्टि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ब्रह्माजी के निर्देशानुसार किया था। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के सभी अस्त्रों एवं शस्त्रों का निर्माण किया था।
हिंदू इतिहास की प्रमुख राजधानी जैसे लंका इंद्रप्रस्थ और द्वारिका का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था। हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के त्रिशूल का निर्माण तथा देवराज इंद्र के वज्र का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा के पुत्र नल जो कि वानर के रूप में त्रेता युग में जन्म लिए थे उन्होंने भी भगवान राम के साथ रहकर राम सेतु का निर्माण किया था।
भगवान विश्वकर्मा मृत्यु के देवता यमराज के नाना है तथा धरती में बहने वाली यमुना यमराज की बहन है इस प्रकार विश्वकर्मा यमुना के भी नाना है। भगवान विश्वकर्मा सूर्य देव के ससुर भी हैं।
निम्न मंत्र से भगवान विश्वकर्मा का ध्यान जिससे भक्त के सभी रुके हुये काम बनने लगते हैं और बिना किसी बाधा के हर काम मे सफलता मिलने लगती हैं।
विश्वकर्मा मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।
विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करना चाहिए????
विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने घर मे रखे औजारों की पूजा करनी चाहिए, अगर आप विद्यार्थी या शिक्षक हैं तो विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी किताब और पेन की पूजा जरूर करे।
विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने रोजगार से संबन्धित चीजों की साफ सफाई रखे, उन्हे व्यवस्थित तरीके से उस दिन रखे।
क्या करें???
विश्वकर्मा पूजा के दिन घर मे रखी हुई महत्वपूर्ण उपकरणो को धूप-दीप जरूर दिखाना चाहिए तथा उन्हें हल्दी का टीका लगाना चाहिए, उदाहरण, फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन आदि।
विश्वकर्मा पूजा के दिन मांस-मंदिरा से दूर रहना चाहिए, वरना रोजगार एवं काम धंधो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।