बेलपत्र शिवजी को चढ़ाकर जरूर खाना चाहिए जिससे मंगल,बुध और शनि ग्रह ठीक होते हैं..
गर्मी के बाद ताजगी लाने के लिए भी बेलपत्र चढ़ाकर उनका सेवन करना चाहिए l
बेलपत्र का मेडिकल एस्ट्रोलॉजी से संबंध
तीन पत्तियाँ जुड़ी रहती हैं, जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता
स्कंदपुराण' में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं।
बेल पत्री ज्योतिष में 3 भावों का प्रतिनिधित्व करती है..
प्रथम भाव तृतीय भाव और एकादश भाव..
प्रथम भाव हमारा शरीर होता है निरोगी बनता है मेष राशि मंगल.. रक्त शुद्धि और रक्त संचार को ठीक करता है..बेल पत्री हमारे शरीर को( बेल )में ठंडक का गुण होता है पेट की जलन को शांत करता है ( जठर अग्नि )
तीसरा भाव हमारा मिथुन बुध से संबंधित होता है और प्रबल मार्कस होता है जो हमारे बात पित्त कफ तीनों को त्रिदोष को ठीक करता है ,
एकादश भाव हमारा रिकवरी भाव होता है.कुम्भ शनि लंबी बीमारियों से हमें मुक्ति देता है … हमारी इच्छा पूर्ति भी होती है…
जितने भी तीर्थ हैं, उन सबमें स्नान करने का जो फल है, वह बेल के वृक्ष के नीचे स्नान करने मात्र से प्राप्त हो जाता है।

