आज सबकुछ ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही हमें त्यौहार या पर्व दिखाई देते हैं। लोगों का रुझान घड़ी मोबाइल पर ज्यादा होने से पश्चात देशों का प्रभाव है ।
पंचांग के अनुसार जबकि किसी भी गणना का प्रयोग बंद सा हो गया है। दैनिक जीवन में सिर्फ पर्व त्यौहार मनाने की फॉर्मेलिटी चल रही है। जबकि पंचांग के पांच अंग की जरूरत होती हैं। हमें दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण तिथि, वार ,नक्षत्र ,योग और करण।
तिथि व महीने का प्रयोग सिर्फ पंचांग तक सीमित हो गया है जबकि हमारा पंचांग ऋतुओ से जुड़ा है, सूक्ष्मता से नक्षत्रों के अनुसार मौसम बदलता है। भारत कृषि प्रधान देश है सभी कुछ मौसम पर निर्भर है, खेती और स्वास्थ्य विशेष रूप से।
खेती
खेती की बात करें खेती मौसम पर आधारित है किस मौसम में किस माह, नक्षत्र में बुबाई करना है, जुताई करना है सिंचाई करना है आदि ।
जिससे पर्याप्त फसल का उत्पादन होता है।घाघ के कृषि के दोहे उदाहरण है। बायोडायनेमिक खेती इसी पर आधारित है चंद्रमा की गति के आधार पर कृषि कैलेंडर बनाया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य के अनुसार आयुर्वेदिक हमें रितुचर्या जानकारी देता है और पंचांग के प्रयोग से हम मौसम के अनुसार अपना आहार-विहार ,लाइफस्टाइल, डाइट का पालन कर सकते हैं। मेंटल वह फिजिकल स्वास्थ्य भी ठीक रख सकते हैं ।आज करोना काल में हमें आयुर्वेदिक और मौसम के अनुसार हर खानपान का महत्व समझ में आया है। वही स्त्रियों का स्वास्थ्य भी पंचांग से हम समझ सकते हैं मासिक चक्र चंद्रमा पर ऋतु चक्र कहते हैं आधारित होता है। क्योंकि आज यूथ समस्या, महिलाओं की दूर की जा सकती है। इसलिए पंचांग का महत्व बहुत ज्यादा है।भारत देश का पंचांग और विदेश का पंचांग एक दिन का अंतर होता है…और यह अंतर सूर्य और चंद्र सिद्धांत पर आधारित होता है।