मुहूर्त विज्ञान एक विज्ञानिक प्रक्रिया है यह भूगोल पर आधारित है खगोलीय घटनाक्रम में मुहूर्त में
आयन,संक्रांति वह मास महत्वपूर्ण होते हैं इसका चक्र होता है सूर्य संक्रांति का मतलब है कि सूर्य प्रतिदिन एक एक बूंद की तरह बढ़ता है
उत्तरायण सूर्य (मकर सें मिथुन )
जहां जीवन को गति मिलती है वही वैज्ञानिक भाषा में उत्तरायण सूर्य ऑक्सीजन के कारक हैं और दक्षिणायन सूर्य (कर्क से धनु) हाइड्रोजन गैस देने वाले बताए गए हैं..
मुहूर्त का किस तरफ से वैज्ञानिक आधार पर असर पड़ता है
ग्रहण का काल प्राकृतिक विशेष घटनाओं पर असर पड़ता है
चंद्रलोप इसका अमावस में असर आत्मा वा मन पर पड़ता है
अधिक मास में यहां पर मलमास कहलाता है
सिंहस्थ सिंह राशि का जब गुरु होता है तो अग्नि तत्व बढ़ा होता है
धनु व मीन राशि पर जब सूर्य होता है और बृहस्पति की राशि में होता है तो यहां पर भी अग्नि तत्व होता है
गुरु शुक्र का अस्त होना सूर्य से 11 अंश पहले से और 11 अंश बाद असर वैवाहिक जीवन आदि पर संतान पर पड़ता है
चंद्रमा जब वृश्चिक राशि का चंद्रमा होता है तो मन पर इसका असर पड़ता हैं.
व्यतिपात, वैधृति योग, भद्रा यह तिथि वार नक्षत्र के योग से उत्पन्न होने वाला एक विशेष तरह की नेगेटिव स्थितियां होती हैं
इन सभी में संस्कार,मंगलकार, यज्ञ आदि को करना ठीक नहीं बताया गया है…