
श्री गणेशाय नमः|अथ संवत्सरावली महात्म्य| जो मनुष्य चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को संवत्सर का फल सुनता है वह धनाढ्य निरोगी राजकुल में विजयी बुद्धिमान और सुखी होता है इस दिन घर को स्वच्छ कर ध्वजा बंधन कर पंचांग स्थित श्री गणेश जी का पूजन कर रात्रि में मंगल गीत आयोजन करना चाहिए|
नया संवत्सर2080
पिंगल नामक संवत्सर का फल कथन:
जब पिंगल नामक संवत्सर होता है तब कीट पतंग टिड्डी आदि का भय ज्यादा होता है|और अन्न के कारण से लोगों को कमी और जल के कारण से भय उत्पन्न होता है|राजा और दुष्ट प्रजाति के लोग अपने बल के अनुसार जनता का भोग करते हैं|
संवत्सर का राजा बुध है~उसका फल कहता है कि पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में वर्षा होगी,घर में मंगल कार्यक्रम होने के कारण जनता में दान पुण्य का भाव बढ़ेगा|
संवतसरावली में मंत्री का फल शुक्र होने के कारण~खेतों में कीड़े और चूहों के आने की संभावना है और अधिक वर्षा होने के कारण धान अनाज सस्ते हो जाएंगे|
इस साल रस का कारक सूर्य है~इसलिए चोरों की मात्रा अधिक होने के कारण गेहूं महंगा होगा और जो शासनकाल में निहित है उनके बीच मतभेद पैदा होंगे बारिश कम होने से अनाज की मात्रा में कोई फर्क नहीं रहेगा अनाज पर्याप्त मात्रा में सभी को प्राप्त होगा|
देश की रक्षा करना शासन प्रशासन का दायित्व है~और ऐसे में उनका दायित्व बनता है कि वे न्याय पूर्वक शासन करें और ऐसे में ब्राह्मण अथवा बुद्धिजीवी{ जो अपनी बुद्धि से सही रणनीति से} चलते हैं वह शस्त्र धारण करें|
धन में सूर्य की तरह तप होने से~मेहनत लगन से जिस प्रकार लाभ होना है वह वाहन अथवा पशुओं के क्रय-विक्रय से साफ समझ आ जाएगा|
रस वाले जो फल हैं~उनमें इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण उनका जो उत्पादन है वह घट जाएगा जिस कारण से सरकार महंगाई में रोकथाम करने में विफल होगी|
शनि से धन में जो फल मिलने वाला है~ युद्ध में अधिक विजय प्राप्त होने के कारण जो लोग युद्ध प्रेमी हो जाते हैं उनके राज्यों की आर्थिक स्थिति सही नहीं रहती|वर्षा कम होने के कारण रोग फैलने से किसी का स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहेगा|
समुद्र से हमें फल स्वरुप में जैसे~ तांबा,चंदन,रत्न,मोती आदि चीजें प्राप्त होती है वह अत्यधिक महंगे हो जाएंगे|
गुरु का फल कहता है~ हम जो वन से उत्पादन करते हैं वह बढ़ते क्रम में होगा जो हमारे शासन क्षेत्र के लोग हैं उन्हें धर्म की ओर रुचि दिखाई देगी जो रस भरे फल होते हैं जिनके उत्पादन में बढ़ोतरी होगी|
मेघों से जो वायु है फैलती हुई नजर आ रही है~उस वायु के कारण फसलों के नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि वर्षा का जो जल है वह कम मात्रा में मेघों से प्राप्त हुआ है|
प्रथुश्रवा नामक नाग से जो फल प्राप्त होते हैं~ वह अच्छे प्राप्त नहीं होते पृथुनाग में जो वर्षा होती है वह कम होती है अथवा वर्षा कम होने के कारण अन्न,खाद्य पदार्थ की हानि होती है|
रोहिणी के वास होने से जो फल प्राप्त होते हैं~ वह शुभ और लाभदाई होते हैं शुभ फल ऐसे कि रोहिणी नक्षत्र होने से वर्षा न्यूनतम मात्रा में होगी और अनाज,धन में वृद्धि होगी|
तिथि के अनुसार आद्रा में प्रवेश फल~ यदि आद्रा पंचमी तिथि में प्रवेश हो तो सभी बंधुओं को उच्चतम फल प्राप्त होते हैं|
यदि आद्रा गुरुवार को प्रवेश करे तो~उसके फल से सभी जन-जीवों को सुख समृद्धि प्राप्त होती है तथा वस्तु-पदार्थ,धन में वृद्धि नजर आएगी|
आद्रा सही नक्षत्र में प्रवेश ना होने के कारण ~हम कितना भी अच्छा प्रयास कर ले उसके विपरीत ही परिणाम हमें मिलते हैं यदि अश्लेषा के मूल लगे हो तो लोग खोटे काम करके अपने सारे सुख का नाश करते हैं|
आद्रा नक्षत्र अगर सही समय प्रवेश करे तो~ उसके जो योगफल हमें प्राप्त होंगे वह हर्षोल्लास से भरे होंगे और परिणाम हमें अच्छे प्राप्त होते हैं और सभी प्रकार का अनाज सस्ता हो जाने के कारण हम सब वासियों में उल्लास का माहौल रहता है|
इस वर्ष जो लग्न है~वृश्चिक में पश्चिम में 9 मास दुभिृृक्ष में, उत्तर में आधी उत्पत्ति और धातुओं की समघृता हो| पूर्व में राजाओं में वगिृह,मनुष्यों में 3 मास दुख पीछे सुख और मध्यदेश में धान्यनाश हो सकता है|दक्षिण में भावी वर्ष मे देश भंग हो और 5 मास पीछे धातु विक्रय में लाभ हो सकता है|
अथ विंशोपक:- वर्षा13, धान्य5, तृण5, शीत13, तेज17, वायु13, वृद्धि15, क्षय15, विगृह11, क्षुधा09, तृषा 15, निद्रा07, आलस्य15, उद्यम13, शांति15,क्रोध13,दंभ05,लोभ03, मैथुन15, रस09, फल13, उत्त्साह 11,उग्र17, पाप09, पुण्य03, व्याधि07, आचार03, अनाचार05, मृत्यु03,जन्म07, देश09,देश स्वास्थ्य15, चोर भय13,चोर नाश15, अग्नि05,अग्नि शांत11,वृक्षादि उद्भिज07, मनुष्यादि जरायुज03, सपाृदि अंडज03, मखमलादि सवेदज09
||श्री परबृम्हं मस्तु||