पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व निम्नवत पूजन सामग्री
• लाल कपडा/लंगोट
• जल कलश
• गंगाजल
• अक्षत ( साबुत चावल )
• लाल पुष्प
• लाल पुष्पों का हार
• पंचामृत
• जनेऊ
• सिन्दूर
• चांदी का वर्क
• भुने चने
• गुड़
• बनारसी पान का बीड़ा
• तुलसी के पत्ते
• इत्र
• सरसो का तेल
• चमेली का तेल
• घी
• दीपक
• धूप
• अगरबत्ती
• कपूर
• नारियल
• केले
हनुमान जी की पूजन विधि
यूँ तो पूजन आरम्भ विधि लम्बी है व सामान्य साधक के सरलतम रूप
…आसन
हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
दीपक
एक घी का एवं एक सरसो के तेल का दीपक जलाये अगरबत्ती एवं धूपबत्ती जलाये।
पवित्रीकरण
साधक बाएं हाथ में जल लेकर उसे दाहिने हाथ से ढक लें एवं मन्त्रोच्चारण
के साथ जल को सिर तथा शरीर पर छिड़क लें। पवित्रता की भावना करें।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।
सकंल्प :
संकल्प करने से पहले हाथों में जल, पुष्प एवं अक्षत ( साबुत चावल ) लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष,
उस वार, तिथि उस स्थान और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें।
जैसे 6/04/2023 को श्री हनुमान का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें।
मैं ( अपना नाम बोलें अंजना) ( अपना गोत्र शांडिल्य बोलें )
भारत देश के ( पूजन के स्थान का भोपाल मध्य प्रदेश बोलें )
विक्रम संवत् 2080 को, ( हिंदी मास का नाम चैत्र) के ( तिथि पूणिमा का नाम बोलें ) को,
( गुरुवार दिवस का नाम बोलें ) को, ( नक्षत्र का नाम हस्त बोलें ) , मैं (मनोकामना बोलें )
इस मनोकामना से श्री हनुमानजी का पूजन कर रहा हूं। अब हाथों में लिए गए जल, पुष्प एवं अक्षत को जमीन पर छोड़ दें।
सर्वप्रथम गणेश जी का स्मरण करें व धूप दीप दिखाएं । कलश जी का स्मरण करें व धूप दीप दिखाएं ।
ध्यान :
तत्पश्चात अपने दाहिने हाथ में अक्षत ( साबुत चावल ) व लाल पुष्प लेकर इस मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें -
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।
इसके बाद हाथ में लिए हुए अक्षत एवं पुष्प श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें।
आवाह्न :
तत्पश्चात हाथ में कुछ पुष्प लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी का आवाह्न करें -
उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।।
ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।
अब हाथ में लिए हुए पुष्प श्री हनुमानजी को अर्पित कर दें।
आसन :
श्री हनुमानजी का आवाह्न करने के पश्चात उनको आसन अर्पित करने हेतु कमल अथवा गुलाब का लाल पुष्प अर्पित करें।
आसन प्रदान करने के लिए अक्षत का भी उपयोग किया जा सकता हो | इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी को आसन अर्पित करें -
तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।
आसन अर्पित करने के पश्चात इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी के सम्मुख किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।
ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।
स्नान एवं श्रृंगार :
अब सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर मूर्ति पर लेप करे। लेप पाँव से शुरू कर सर तक ले जाएँ, चांदी का वर्क मूर्ति पर लगाए,
अब हनुमान जी को लाल लंगोट पहनाये, इत्र छिड़के, हनुमानजी के सर पर अक्षत सहित तिलक लगाए,
लाल गुलाब और माला हनुमान जी को चढ़ाये, भुने चने एवं गुड़ का नैवेद्य लगाए, नैवेद्य पर तुलसी पत्र अवश्य रखे
, केले चढ़ाये, हनुमान जी को बनारसी पान का बीड़ा अर्पित करे, इसके बाद हनुमानजी को इत्र, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, पुष्प व पुष्प हार अर्पित करें।
श्री हनुमानजी के स्नान एवं श्रृंगार के समय "ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः" मंत्र का जप करते रहें।
धूप-दीप :
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अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं -
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।
ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।
पूजन वंदन :
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इसके पश्चात एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर 11 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करे व अंत में श्री हनुमानजी की आरती करें।
इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
क्षमा याचना :
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श्री हनुमानजी पूजन के पश्चात अज्ञानतावश पूजन में कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए भगवान् श्री हनुमानजी के सामने हाथ जोड़कर निम्नलिखित मंत्र का जप करते हुए
क्षमा याचना करे।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं l यत पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्त्वैमेव ल
आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनं l पूजा चैव न जानामि, क्षमस्व परमेश्वरं l
हनुमान जी को चोला
मंगलवार, शनिवार या विशेष पर्व जैसे की श्री हनुमान जंयती, रामनवमी, दीपवाली, व् होली के दिन चढ़ा सकते है ! इसके अलावा अन्य दिन चढ़ाना निषेध माना गया हैं !
श्री हनुमान जी के लिए लगाने वाला सिंदूर सवा के हिसाब से लगाना चाहिए ! जैसे की सवा पाव ,सवा किलो आदि ।
सिंदूर में मंगलवार के दिन देसी गाय का घी एवं शनिवार के दिन केवल चमेली के तेल का ही प्रयोग करना चाहिए।
हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक को पवित्र यानी साफ़ लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए !
श्री हनुमान जी चोला चढाते समय सिंदूर में गाय का घी या चमेली का तेल ही मिलाना चाहिए !
हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराने छोले को उतारा जरुर चाहिए और उसके बाद उस चोले को बहते हुए जल में बहा देना चाहिए !
श्री हनुमान जी की प्रतिमा पर चोला का लेपन अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चढ़ाना चाहिए उसके बाद चांदी या सोने का वर्क चढ़ाना चाहिए !
चोला चढ़ाते समय दिए गये मंत्र का जाप करते रहना चाहिए !
हनुमान जी को चोला चढ़ाने का मन्त्र
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सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये । भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।
श्री हनुमान जी को स्त्री द्वारा चोला नही चढ़ाना चाहिए और ना ही चोला चढ़ाते समय स्त्री मंदिर में होनी चाहिए !
हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक की श्वास प्रतिमा पर नही लगनी चाहिए !
श्री हनुमान जी को चोला सृष्टि क्रम ( पैरों से मस्तक तक चढ़ाने में देवता सौम्य रहते हैं ) में चढ़ाना चाहिए ! संहार क्रम ( मस्तक से पैरों तक चढ़ाने में देवता उग्र हो जाते हैं ) !
यदि आपको कोई मनोकामना पूरी करनी है तो पहले उग्र क्रम से चढ़ाये मनोकामना पूरी होने के बाद सोम्य क्रम में चढ़ाये !
चोला चढ़ाने के बाद हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाकर नीचे दिए क्रम से धूप दीप के बाद क्षमा याचना करें।
