हमारे ब्रम्हाण्ड के न्यायालय के देवता शनि के रहस्य अन्य ग्रहो के साथ।
शनि क्रूर ग्रह जरूर है, लेकिन न्याय प्रिय ग्रह है दो भावो का प्रतिनिधि करते है अपने भावो का ही फल देते है..मकर और कुंभ।
मकर मे शश महापुरुष योग।
कुंभ मे इच्छाओ का घडा।

चंद्र शनि
चन्द्र से सम्बन्ध मे विषयोग बनाते है जो मानसिक कष्ट देते है..बार बार कार्य को छोड़कर पुनः करते है।मां से जीवन अशांत होता है।
सूर्य शनि
सूर्य से सम्बन्ध मे पिता पुत्र मे विचारो की भिन्नता होती है ।न्याय के लिए परेशान। सरकार /पिता से संबंध खराब।साथ नही रहना चाहिए पिता के विकास मे बाधा।
शुक्र शनि
शुक्र शत्रु राशि गत हो शनि से सम्बन्ध होने पर नपुंसकता देते है कमजोर बुध से सम्बन्ध हो पौरुषमणि कम करते है…राजा से रंक और रंक से राजा।
मंगल शनि
मंगल से सम्बन्ध हो तो इंजीनियरिंग या मेडिकल सम्बंधित रुझान,, आग से जलने का भय भी रहता है…मंगल शनि विवाह विच्छेद या बहुत से मेटेरियल अफेयर देगे।
जीवन मे बहुत हलचल।
शनि गुरू
गुरू के साथ सम्बन्ध होने पर शनि की क्रूरता खत्म हो जाती है,।रिसर्च कराते है।
राहू या केतु शनि।
सम्बन्ध होने पर शनि जिस भाव के भाव पति उनके फलों मे न्यूनता आ जाती है ।शनि से डरने की आवश्यकता नही है शनि का वास श्रमिको मे होता है शनि को प्रसन्न रखने के लिए श्रमिको का शोषण नही करना चाहिए…