मिथुन राशि में सूर्य का 17जून से और
साइन सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश लगने पर गुरु की दृष्टि होने से शुभ वर्षा का योग बन रहा है। वर्षा के विश्वा 13 होने से सर्वाधिक बरसात का योग बन रहा है , आद्रा प्रवेश के समय लग्न वृश्चिक पर बुध की दृष्टि विषम वर्षा का संकेत भी दे रही है। मंगल सूर्य से आगे चल रहे हैं सितंबर तक इस कारण से बहुत से स्थानों में सूखें का संकेत भी दिखाई देता है।
संवत्सर का राजा बुध है~उसका फल कहता है कि पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में वर्षा होंगी
संवतसरावली में मंत्री का फल शुक्र होने के कारण~खेतों में कीड़े और चूहों के आने की संभावना है और अधिक वर्षा होने के कारण धान अनाज सस्ते हो जाएंगे|
इस साल रस का कारक सूर्य है~इसलिए चोरों की मात्रा अधिक होने के कारण गेहूं महंगा होगा और जो शासनकाल में निहित है उनके बीच मतभेद पैदा होंगे बारिश कम होने से अनाज की मात्रा में कोई फर्क नहीं रहेगा अनाज पर्याप्त रस जो फल हैं~उनमें इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण उनका जो उत्पादन है वह घट जाएगा जिस कारण से सरकार महंगाई में रोकथाम करने में विफल होगी|
गुरु का फल कहता है~ हम जो वन से उत्पादन करते हैं वह बढ़ते क्रम जो रस भरे फल होते हैं जिनके उत्पादन में बढ़ोतरी होगी|
मेघों से जो वायु है राहु गुरु संयुक्त होने से फैलती हुई ~उस वायु के कारण फसलों के नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि वर्षा का जो जल है वह कम मात्रा में मेघों से प्राप्त हुआ है|
प्रथुश्रवा नामक नाग से जो फल प्राप्त होते हैं~ वह अच्छे प्राप्त नहीं होते पृथुनाग में जो वर्षा होती है वह कम होती है अथवा वर्षा कम होने के कारण अन्न,खाद्य पदार्थ की हानि होती है|रोहिणी के वास तट परहोने से जो फल प्राप्त होते हैं~ वह शुभ और लाभदाई होते हैं शुभ फल ऐसे कि रोहिणी नक्षत्र होने से वर्षा न्यूनतम मात्रा में होगी और अनाज,धन में वृद्धि होगी|
तिथि पंचमी आद्रा में प्रवेश फल~ यदि आद्रा पंचमी तिथि में प्रवेश होने से सभी बंधुओं को उच्चतम फल प्राप्त होते हैं|आद्रा प्रवेश गुरुवार को तो~उसके फल से सभी जन-जीवों को सुख समृद्धि प्राप्त होती है तथा वस्तु-पदार्थ,धन में वृद्धि नजर आएगी|समुद्र से हमें फल स्वरुप में जैसे~ तांबा,चंदन,रत्न,मोती आदि चीजें प्राप्त होती है वह अत्यधिक महंगे हो जाएंगे|यदि अश्लेषा के मूल लगे हो तो लोग खोटे काम करके अपने सारे सुख का नाश करते हैं|वर्ष कुंडली बारिश कीइस वर्ष जो लग्न है~वृश्चिक में पश्चिम में 9 मास दुभिृृक्ष में, उत्तर में आधी उत्पत्ति और धातुओं की समघृता हो| पूर्व में राजाओं में वगिृह,मनुष्यों में 3 मास दुख पीछे सुख और मध्यदेश में धान्यनाश हो सकता है|दक्षिण में भावी वर्ष मे देश भंग हो और 5 मास पीछे धातु विक्रय में लाभ हो सकता है|
अथ विंशोपक:- वर्षा13, धान्य5, तृण5, शीत13, तेज17, वायु13, वृद्धि15, क्षय15, विगृह11, क्षुधा09, तृषा 15, निद्रा07, आलस्य15, उद्यम13, शांति15,क्रोध13,दंभ05,लोभ03, मैथुन15, रस09, फल13, उत्त्साह 11,उग्र17, पाप09, पुण्य03, व्याधि07, आचार03, अनाचार05, मृत्यु03,जन्म07, देश09,देश स्वास्थ्य15, चोर भय13,चोर नाश15, अग्नि05,अग्नि शांत11,वृक्षादि उद्भिज07, मनुष्यादि जरायुज03, सपाृदिग्रहों का गोचर और वर्षाबरसात जानने के लिए सूर्य मंगल की युति भी बहुत महत्वपूर्ण होती है, अगर सूर्य मंगल साथ में है तो अल्प वर्षा के संकेत हैं ,यदि गोचर में मंगल सूर्य से आगे चल रहे हैं तो सूखे की स्थिति बनती है, मंगल के राशि परिवर्तन के समय, गुरु उदय के समय, शुक्र अस्त के समय ,शनि के उदय अस्त, वक्री मार्गी तथा राशि परिवर्तन के समय वर्षा के विशेष योग होते हैं। वर्ष कुंडली बारिश की
इस वर्ष जो लग्न है~वृश्चिक से म पश्चिम में 9 मास दुभिृृक्ष में, उत्तर में आधी उत्पत्ति और धातुओं की समघृता हो| पूर्व में राजाओं में वगिृह,मनुष्यों में 3 मास दुख पीछे सुख और मध्यदेश में धान्यनाश हो सकता है|
दक्षिण में भावी वर्ष मे देश भंग हो और 5 मास पीछे धातु विक्रय में लाभ हो सकता है|
सप्तनाडी चक्र और नक्षत्र
21/22जून से** मेष वाहन होने से अग्नि नाड़ी है अनावृष्टि के संकेत हैं।
अग्नि नाड़ी होने पर मंगल ग्रह बहुत ज्यादा प्रभावी होगा। चंद्र का गोचर मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी , मूल और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र मे है। इससे बिजली गिरने और उमस होने का ज्यादा संदेश दिखाई देता है।
5/6जुलाई से सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में गंदर्भ वाहन है। सोम्या नाड़ी है सुबृष्टि है।
सौम्या नाड़ी कारक गुरु होता है, चंद्र का आद्रा्, हस्त, पुर्वाआषाढा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में गोचर होता है।
गर्मी और वर्षा दोनों साथ साथ दिखाई देंगे।
19/ 20 जुलाई से सूर्य पुष्य नक्षत्र मे मंडूक वाहन और नीरा नाड़ी अनावृष्टि के संकेत। नीरा नाड़ी के कारक शुक्र ग्रह होते हैं पुनर्वसु , चित्रा, उत्तराषाढ़ा , रेवती नक्षत्र में चंद्र का गोचर हो तो बादल ज्यादा छाए रहते हैं
2/3 अगस्त सूर्य अश्लेषा नक्षत्र में से महिष वाहन होने जलनाडी है सुबृष्टि होगी जल नाडी के कारण बुध ग्रह होते हैं पुष्य, स्वाति, अभिजीत और अश्विनी नक्षत्र में चंद्र का गोचर होता है जिसके कारण बहुत अच्छी वर्षा होती है और सभी के लिए पौष्टिक होती है
16/17 अगस्त सूर्य माघ नक्षत्र मे अश्व वाहन पर्वत में वृष्टि होने से अनावृष्टि होगी अमृत नाड़ी है।
अमृत नारी के कारक चंद्रदेव होते हैं अश्लेषा विशाखा श्रमण और भरनी नक्षत्र में जब चंद्र का गोचर होता है तो अति वर्षा होती है।
30/31 अगस्त से सूर्य पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र चातक वाहन सुबृष्टि चण्डॉनाड़ी।
चंदनवाड़ी के कारण शनिदेव होते हैं चंद्र का गोचर कृतिका, मघा ,अनुराधा और धनिष्ठा नक्षत्र में होने पर आंधी और तूफान भी आते हैं।
12/13 सितंबर सूर्य उत्तराफाल्गुनी गज वाहन अनावृष्टि वायु नाड़ी।
वायु नारी के कारक सूर्य देव होते हैं जब चंद्रमा का गोचर रोहिणी, पूर्वा फाल्गुनी, जेष्ठा,शतभिषा नक्षत्र में होता है तो तेज तेज हवाएं चलती हैं बारिश के साथ साथ..
26 / 27 सितंबर सूर्य हस्तनक्षत्र में बारिश का आखिरी पड़ाव होता है मंडूक वाहन सुबृष्टि, अग्नि नाड़ी।
जिसके भी कारक मंगल देव होते हैं और उमस की बढ़ोतरी होगी।