राखी का पर्व 30 या 31 अगस्त को, सही जानकारी मुहूर्त के साथ...
रक्षाबंधन के दिन भद्रा कब से कब तक है:
रक्षा बंधन यानी राखी के पर्व को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है.
कुछ विद्वानों के अनुसार 30 और कुछ के अनुसार 31 अगस्त को मनाया जाना चाहिए रक्षाबंधन का त्योहार।
परंपरा से श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है राखी का पर्व। पूर्णिमा तिथि पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10:58 पर प्रारंभ होकर 31 अगस्त को सुबह 07:14 पर समाप्त होगी।(standard time)
पूर्णिमा का संपूर्ण काल 30 अगस्त को दिन के बाद रात्रि में रहेगा (अंग्रेजी समयानुसार 31 अगस्त की रात्रि में)
30 अगस्त को व्रत की पूर्णिमा रहेगी और 31 अगस्त को स्नान दान की पूर्णिमा रहेगी।
30 अगस्त पूर्णिमा के दिन भद्रा काल
भद्राकाल सुबह 10:58 से रात्रि 09:01 तक रहेगा। भद्रा का वास जिस लोक में भी होता है वहां भद्रा का विशेष रूप से प्रभाव माना जाता है। ऐसी स्थिति में जब चंद्रमा कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि और मीन राशि में होगा तो भद्रा का वास भूलोक में होने से भद्रा सम्मुख होगी और पूर्ण रूप से पृथ्वी लोक पर अपना प्रभाव दिखाएगी। यही अवधि पृथ्वी लोक पर किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए वर्जित मानी जाती है, क्योंकि ऐसे में किए गए कार्य या तो पूर्ण नहीं होते या उनके पूर्ण होने में बहुत अधिक विलंब और रुकावटें आती हैं। जब भी चंद्रमा का गोचर कर्क राशि, सिंह, कुंभ राशि तथा मीन राशि में होगा तो भद्रा पृथ्वी लोक पर होगी और कष्टकारी होगी। ऐसी भद्रा का त्याग करना श्रेयस्कर होगा। इस बार कुंभ राशि मे है.. <भद्रा का निवास जब धरती पर रहता है तो कोई शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं> इस बार भद्रा का निवास धरती पर ही है। ऐसे में 30 अगस्त को सुबह 10:58 से रात्रि 09:01 तक राखी नहीं बांध सकते हैं। चिंतामणि के अनुसार: — दिवा भद्रा रात्रौ रात्रि भद्रा यदा दिवा। न तत्र भद्रा दोषः स्यात सा भद्रा भद्रदायिनी।। इसका तात्पर्य यह है कि यदि दिन के समय की भद्रा रात्रि में और रात्रि के समय की भद्रा दिन में आ जाए, तो ऐसी स्थिति में भद्रा का दोष नहीं लगता है। विशेष रुप से हंसी भद्रा का दोष पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाता है। इस प्रकार की भद्रा को भद्रदायिनी अर्थात शुभ फल देने वाली भद्रा माना जाता है। तिथे पूर्वार्धजा रात्रौ दिन भद्रा परार्धजा। भद्रा दोषो न तत्र स्यात कार्येsत्यावश्यके सति।।
अर्थात यदि आपको कोई अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करना है तो ऐसी स्थिति में उत्तरार्ध के समय की भद्रा दिन में तथा पूर्वार्ध के समय की भद्रा रात्रि में हो तब इसे शुभ ही माना गया है। इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि यदि कभी भी आपको भद्रा के दौरान कोई शुभ कार्य करना आवश्यक हो जाए तो पृथ्वी लोक की भद्रा तथा भद्रा मुख-काल को छोड़कर तथा स्वर्ग व पाताल की भद्रा के पुच्छ काल में शुभ तथा मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में भद्रा का परिणाम शुभ फलदायी होता है। कुछ विद्वानों के अनुसार रात्रि 09:01 से अगले दिन सुबह 07:14 के बीच राखी बांध सकते हैं। 30 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समय:- रात्रि 9:01 से 11:13 तक। (शुभ के बाद अमृत का चौघड़िया रहेगा) 31 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त :- राखी बांधने का शुभ मुहूर्त इस दिन सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक का है। इसके बाद पूर्णिमा का लोप हो जाएगा।-रक्षा बंधन निर्णय-"
"रक्षा बंधन पर्व-" दिनांक 30/08/23(श्रावण/शुक्ल/पूर्णिमा/बुधवार)को पूर्णिमा तिथि सुबह 10.58 पर प्रारंभ होगी। परंतु तिथि प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा भी प्रारंभ हो जायेगी जो रात्रि 9 बजे तक रहेगी।
"भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा" उपरोक्त वाक्य अनुसार भद्रा में राखी नही बांधी जाना चाहिए।तो क्या अगले दिन रक्षा बंधन करे.. "इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्" उपरोक्त वाक्य अनुसार प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा में रक्षा बंधन करने से देश/स्थान की हानि होती है।
तो फिर रक्षा बंधन कब करे.. "दिनार्द्धात् परतश्चेत् स्यात् श्रावणी कालयोगतः। रात्रौ भद्रावसाने तु रक्षाबन्धः प्रशस्यते।।" अर्थात यदि भद्रा रात में भी समाप्त होती है तो रात्रि में ही रक्षा बंधन करे,पर प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा में न करे।
"अतः दी•30/08/23 बुधवार को रात्रि 9 बजे के बाद ही रक्षा बंधन करना शास्त्र सम्मत हे.."
"उपाकर्म कब करे-" भद्रा में उपकर्म निषेध नही हे,यथा.. "श्रावण्यां श्रावणीकर्म यथाविधि समाचरेत्। उपाकर्म तु कर्तव्यं कर्कटस्थे दिवाकरे।।" इत्यादि वचनों में श्रावणी से अलग उपाकर्म का उल्लेख है,अतः भद्रा में उपकर्म निषेध नही हे। नोट-स्थानीय पंचांग भी देखे।