
भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। इसे जलझूलनी यानी डोल ग्यारस भी कहते हैं। इस बार यह जलझूलनी एकादशी का व्रत वैष्णव मतानुसार 26 सितंबर, मंगलवार को रखा जाएगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार-:
इस दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सब कुछ दान में मांग लिया था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी प्रतिमा भगवान विष्णु ने सौंप दी थी। इस वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहते हैं..।
अतः यह एकादशी सभी तरह के लौकिक और पारलौकिक सुखों को देने वाली है।।
परिवर्तनी एकादशी का महत्व-:
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसलिए इसे परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। परिवर्तनी एकादशी सभी दुखों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है। इस दिन उपवास करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन किया जाता है। इसलिए इस एकादशी को डोल ग्यारस भी कहते हैं।