यात्रा विचार???
भारत भ्रमण
गाय -बैल देव मंदिर -चौराहा -ब्राह्मण -सन्यासी राजा गुरु -अग्नि मिट्टी का ढेर -घी -मधु पीपल -वृक्ष -धर्मात्मा मनुष्य -जल से भरा हुआ घड़ा,दही, सरसो,चिता,देव सम्बन्धी सरोवर,या कुंड ,---इन सबको अपने दाहिने करके जाना चाहिए।
पूज्य एवं मांगलिक पदार्थो कोअपने से दाहिने करके और अपूज्य एवं अमंगलकारी वस्तुओं को अपने से वाये करके चलना चाहिए।
इस सँसार में आठ मंगल है------- -
-ब्राह्मण,गौ,अग्नि,स्वर्ण, घृत,सूर्य,जल,और राजा ।इनका सदैव दर्शन ,नमस्कार एवं पूजन करना चाहिए और इन्हें सदा अपने दाहिने करके ही चलना चाहिए !
चौखट
अग्नि और शिवलिंग ,सूर्य और चंद्रमा,भगवान नन्दिकेश्वर और वृषभ* (मंदिर में यदि गर्भ गृह के वाहर नन्दीकेश्वर हो तो वहां यह वात लागू नही होती क्योकि चौखट के वाहर होने के कारण दोनों की सीमा अलग अलग हो जाती है)
वीच सेहोकर नही निकलना
ब्राह्मण और अग्नि
पति और पत्नी
स्वामी और स्वामिनी
गाय और ब्राह्मण
घोड़ा और साँड़---इन दोनों के वीच सेहोकर नही निकलना चाहिए।इनके मध्य से जानेवाला मनुष्य पाप का भागी होता है।।परस्पर बातचीत करते हुए दो व्यक्तियो के बीच से और दो पूज्य पुरुषों के मध्य से होकर नही निकलना चाहिए।
अग्नि,गायों, गुरुजनों,ब्राह्मणों,दम्पति--इनके वीच से नही निकलना चाहिए।
मार्ग देना
ब्राह्मण ,गौ,राजा,रोगी मनुष्य,भार से दवा हुआ मनुष्य,बृद्ध,गर्भवती स्त्री,अत्यंत दुर्वल मनुष्य,नेत्रहीन ,बाहन पर चढ़ा हुआ ,गुरुजन,बलवान,व्रतधारी,शव, माननीय व्यक्ति--ये यदि सामने से आते हो तो स्वयं किनारे हटकर इन्हें जाने का मार्ग देना चाहिए !!
रथ गाडी पर वैठे हुए ,अधिक आयु वाले वृद्ध,रोगी,बोझ उठाये हुए,स्त्री,स्नातक(जिनका समावर्तन संस्कार हो गया हो)
राजा और दूल्हा---ये यदि सामने से आते हो तो इन्हें मार्ग देना चाहिये।इन सबमे राजा और स्नातक पहले मार्ग देने योग्य है और इन दोनों में भी स्नातक विशेष मान्य है!!
चलते हुए पढ़ना एवं किसी वस्तु को खाना नही चाहिये!
दुरी
शकट(वैलगाड़ी आदि )से पांच हाथ-घोड़े से दश हाथ-हाथी से सौ हाथ,वैल से दश हाथ की दुरी पर रहना चाहिए ।लेकिन?--दुष्ट पुरुष का स्थान छोड़ देना चाहिए या उसे वहां से हटा देना चाहिए!
मार्ग में कभी अकेला न चले!
जूठे【उच्छिष्ट】मुंह कही नही जाना चाहिए !
रास्ते_ में शिखा खोलकर नही चलना चाहिए ।।