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।। दीपावली के शुभ मुहुर्त ॥ विक्रम संवत 2080 ई सन 2023

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।। दीपावली के शुभ मुहुर्त ॥ विक्रम संवत 2080 ई सन 2023

  1. दिनांक 4 नवंबर 2023 कार्तिक कृष्ण सप्तमी शनिवार प्रातः 7:57 से पुष्य नक्षत्र प्रारम्भ होकर दिनांक 5 नवंबर 2023 कार्तिक कृष्ण अष्टमी, रविवार को प्रातः 10:29 तक रहेगा। शनिवार को दोपहर 12:30 से 4:31 तक, शाम 5:34 से 7:31 तक (5:14 से 6:34 विष घटी छोड़कर), रविवार को प्रातः 9:33 से 10:29 के मध्य बही खाता लाने का चांदी सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त रहेगा।   2.धनतेरस, गादी बिछाना, यम दीप दान, धन्वंतरी पूजन मुहूर्त - दिनांक 10 नवंबर 2023 शुक्रवार को दोपहर 12:35 के बाद त्रयोदशी तिथि का प्रवेश हो जाएगा। गादी बिछाने हेतु दोपहर 12:35 से 1:44, शाम 4 बजकर 28 मिनट से शाम 5:51 के बीच शुभ मुहूर्त रहेगा। यम दीपदान हेतु रात्रि 9 बजकर 6:00 से 10:44 के मध्य शुभ समय रहेगा। धन्वंतरी पूजन 11 नवंबर 2023 को प्रातः 8:15 से 9:38 का समय श्रेष्ठ रहेगा । कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को इस दिन भगवान सूर्य ने कलि के द्वारा निर्मित रोगों से पीड़ित संसार के प्राणियों को रोगों से मुक्त कराया एवं देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए कलयुग में काशी नगरी में कल्पंदत नामक ब्राह्मण के पुत्र रूप में जन्म लिया और वह आगे चलकर धनवंतरी के नाम से प्रसिद्ध हुए जिन्होंने राजपुत्र सुश्रुत को अपना शिष्य बनाया एवं चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद की रचना की। इस दिन नए गणेश लक्ष्मी, नए बर्तन मिठाई एवं खेल खिलौने बाजार से खरीदने की परंपरा है क्योंकि इस दिन वेदराज धनवंतरि और यमराज के निर्मित घर के मुख्य द्वार पर दीप प्रज्वलित कर आरोग्य एवं दीर्घायु की कामना करनी चाहिए ,ऐसा करने से किसी भी प्रकार के रोग एवं अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है । हमारा स्वास्थ्य धन सबसे महत्वपूर्ण है इसके लिए आवंला और हल्दी दोनों को हमें खरीद कर उसका पूजन करके, सालभर अपने घर में आरोग्य हेतु सेवन करना चाहिए। कोई भी नई अयुर्वेद दवा या नया उपचार, रोगी को स्नान और नेगेटिविटी समाप्त करने के लिए हमें कनकधारा पूजा जरूर करना चाहिए। सायं काल दरवाजे पर अनाजों के ऊपर उस पर चार बत्ती का दीपक लगाना चाहिए।जो रात्रि मे जलाया जाय अलसी का तेल हो। इसके साथ ही दीपदान हेतु चार बत्ती का दीपक आटे का बना कर किसी भी जल स्थान में दीप दान करना चाहिए हर व्यक्ति के लिए अलग दीपक होना चाहिए। धन्वंतरी जयंती के एक कलश की स्थापना करके साल भर में अनाज भरकर एक नारियल रखना चाहिए । उत्तरी भारत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व धन्वंतरि, लक्ष्मी जी धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है. इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है. इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है. धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए. इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती है. साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है. सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है. इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है. धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करनी चाहिए. सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए. देव कुबेर का ध्यान 'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।' नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी* दस महाविद्या साधना, भैरव हनुमान पूजन / नरक चतुर्दशी (रूप चौदस) - दिनांक 11 नवंबर 2023 शनिवार को दोपहर 1:57 के बाद चतुर्दशी तिथि का प्रवेश होकर 10 महाविद्या पूजा भैरव हनुमान साधना काली चौदस के रूप में 11 नवंबर शनिवार को रात्रि में सम्पन्न होगी, वहीं 12 नवंबर रविवार को नरक चतुर्दशी रूप चौदस का अभ्यंग स्नान प्रातः काल में सम्पन्न होगा। यह धनत्रयोदशी के दूसरे दिन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महिलाओं को सुबह सूर्य उदय से पहले देहली पर एक दीपक जला कर उबटन लगा कर अंभग्य स्नान करना चाहिए जिसमें तिल का तेल जरूर लगाया जाय और मिट्टी करवा के जल से स्नान करना चाहिए।लौकी को 7बार उतार कर दीपक रखकर जल मे प्रवाह करना चाहिए। गृहलक्ष्मी के रुप मे आरोग्यता के लिए काली देवी का पूजन करना और ऋगांर का समान अपित करना चाहिए। सांयकाल कुबेर के लिए और पितरों के निमित्त उडद दाल से 14दीपक बनाकर चार बती के पानी के स्थान अंधेरे और नाली,और पीपल वृक्ष, वटवृक्ष पर दीप दान करना चाहिए। दान को करने से परिवार में एकता और खुशहाली रहती है और नर्क का भय नहीं रहता है और निरंतर धन समृद्धि व रूप की वृद्धि होती रहती है। छोटी दीपावली हमें स्वच्छता का संदेश देती है। औरप्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिससे ना केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि ब्रह्मांड का अस्तित्व खतरे में आ जाता है संपूर्ण चिंता में आगामी 70 वर्षों में 3% की कमी आ गई है जिससे कि मानव स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाएगा सभी तत्व पांच तत्वों के साथ हमारे वायु तत्व बहुत महत्वपूर्ण हैं जहां ऑक्सीजन आदि सभी की जरूरत है, इसके लिए आवश्यक जीवनी तत्वों से भरपूर जल पोस्टिक आहार स्वच्छ वेशभूषा नियमित रूप से साफ-सफाई और विचारों की शुद्धि की जरूरत है। प्रदूषण के कारण तो बहुत से होते हैं पर हमारे भारतीय देश में इसके लिए दीपावली पर्व महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है जिसमें की छोटी दीपावली के रूप में हम प्रदूषण से बचने के लिए घनी आबादी नालियों जहां गंदगी जमीन होती है कारखानों सिविल लाइन पेयजल पानी जल की शुद्धि टंकी आदि के पास साफ सफाई करते हैं इसके लिए हम शुद्ध हवा प्रदान करने वाले वृक्ष और वनस्पतियों हम सफाई करके एक दीपक रखें तो यह स्वच्छता का संदेश देता है। ।। दीपावली महालक्ष्मी पूजन ।। कार्तिक कृष्ण अमावस्या रविवार दिनांक 12 नवंबर 2023 को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में महालक्ष्मी पूजन व दीपदान किया जा सकेगा। ।। प्रदोष समये लक्ष्मी पुजयित्वा यथा क्रमम, दीपवृक्षास्तथाकार्याः शक्तया देव गृहेषु च।। (भविष्य पुराण) स्थिर लग्न वृश्चिक, कुंभ, वृषभ, सिंह मे पूजन करे। वृश्चिक लग्न सोना चांदी व्यापारी बर्तन सिक्के चार्टर्ड अकाउंटेंट फैक्ट्री शिक्षण संस्थान खाद्यान्न किराना ज्योतिष वकील व्यापारियों मेडिकल लेखाकार भूमि संबंधित कार्य व्यापारियों को पूजन करना अत्यंत श्रेष्ठ मुहूर्त होता है कुंभ लग्न लिखित ,चांदी ,होटल ,लोहा, कमर्शियल ,ब्यूटी पार्लर बुटीक वस्त्र रत्न पेय पदार्थ शिकार कृषि कार्य गार्डनिंग व्यापारियों के लिए पूजन का शुभ समय होता है । अभिजीत मुहूर्त 11ःः55 दोपहर से 12ःः 20 तक इस मुहूर्त में विद्युत उपकरण फैक्ट्री बिल्डिंग मटेरियल ट्रांसपोर्ट मार्बल विद्युत उपकरण सोना चांदी कला वाहन प्लास्टिक चमड़े आदि के व्यापारियों को पूजन करना फलदाई होगा वैसे तो अभिजीत मुहूर्त सभी के लिए लाभकारी होता है वृषभ लग्न में प्रदोष काल दीपावली पूजन का प्रमुख मुहूर्त होता है सभी ज्योतिष, मठाधीश पुजारियों सभी व्यापारियों कर्मचारी जड़ी बूटियों राजनीतिक सभी प्रकार के लोगों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त होता है । सिंह लग्न रात्रि कालीन निश्चित मुहूर्त माना जाता है सभी दुकानदार पूजन व्यापारियों के लिए यह मुहूर्त अत्यंत शुभ फलदाई होता है दिनांक 12 नवंबर 2023 रविवार को दोपहर 2:44 के बाद अमावस्या तिथि का प्रवेश हो जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में सांय 5:40 से 7:20 के मध्य आरम्भ होकर गोधूलि वेला सांय 5:40 से 6:16, वृषभ लग्न शाम को 6:01 से 7:57 शुभ, अमृत, चल व मिथुन लग्न में  Acharya Anjana 9to 10 pm/morning 7to 8india time: रहेगा।

दीपोत्सव* दीपोत्सव का सामाजिक एवं धार्मिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। सामाजिक दृष्टिकोण से दीपावली आगमन से गृह द्वार की स्वच्छता पर ध्यान दिया जाता है। दीवारों पर दरवाजों पर रंग रोगन जिससे आकर्षण ही नहीं आयु की वृद्धि होती है। वर्षा कालीन स्वच्छता का परिमार्जन भी होता है ,जिससे स्वच्छ एवं सुंदर वातावरण शरीर और मस्तिष्क को नवचेतना स्फूर्ति प्रदान करता है ! वही दीपोत्सव के दिन धन के लिए ढान्यढ घरों से लेकर श्रमिकों की झोपड़ी में दीपावली का प्रकाश किसी ना किसी रूप में अमावस्या के दिन प्रभावित करता है। यह वैश्य वर्ग का मुख्य त्योहार होते हुए भी विभिन्न वर्ग अपनी क्षमता अनुसार परंपरा भक्ति लक्ष्मी की आराधना करते हैं। दीपोत्सव जागरूकता और कर्मठता को सुंदर करता है। अन्य व्रत एवं पर्व अपेक्षा कहीं अधिक उपादेय है। विभिन्न मंत्रों का उच्चारण अमावस्या की काली रात में तेजोमयी मां भगवती लक्ष्मी उत्कृष्ट पुरुषार्थी विष्णु लोगों के पास लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस प्रकार दीपोत्सव मन और विचारों को पवित्र कर चंद्र और सूर्य का एकीकरण तुला राशि का सूर्य जबकि सबसे संतुलित राशि तुला पर दीप उत्सव होना समाज में एक संतुलन का प्रभाव देता है। उघोगिंनं पुरुषसिहंमुपैति लक्ष्मी

2= दूध दही घृत आदि द्वारा पितरों का पावन श्राद्ध करना चाहिए उपवास कर 3= गोधूलि बेला में श्री गणेश ,कलश ,षोडश मातृका, नवग्रह पूजन भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। 4=उसके पश्चात महाकाली का दवात पूजन महासरस्वती का बहीखाता आदि के रूप में कुबेर का तुला के रूप में सब विधि पूजन करना चाहिए। 5= इस समय दीप पूजन कर पितरों के निर्मित संकल्प सहित दान करना चाहिए 6= पूजन स्थल तुलसी चौरा मंदिर मे दीपक जलाना चाहिए और भगवती को पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए। 7=विष्णु प्रिया लक्ष्मी शुभता के ग्रहों के घरों में विचरण कर निवास योग्य घर देखती हैं जो कि ईमानदारी से कमाया हुआ धन होना चाहिए। 8=पूजन में श्रेष्ठ बैठी हुई लक्ष्मी मिट्टी की मूर्ति हाथी पर बैठी मूर्ति अच्छी मानी गई है। 9=ईशान कोण में मिट्टी की लक्ष्मी या उत्तर दिशा सबसे ज्यादा शुद्ध मानी गई है। 10=गणेश लक्ष्मी की पूजा के लिए कुबेर की भी यही दिशा होती है . 11=लक्ष्मी का ध्यान, दीपका अर्पण ,अष्ट सिद्धियों का पूजन, लक्ष्मी का सू्त्कम और मंत्र के साथ साथ शुभ लाभ दरवाजे पर अंकित करना चाहिए । 12=महानिशा काल में सात्विक समृद्धि कारक प्रयोग करके धन की वृद्धि की जा सकती है। 13=गोबर लीपन, दक्षिणावर्ती शंख से गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। 14=बालिका को खीर और गाय को गेहूं का ग्रास देना चाहिए ।गूगल का धूप देना 15=चाहिए बेलपत्र और कमल के फूल चढ़ाना चाहिए। 16= विष्णु सहस्त्रनाम या गोपाल सहस्त्रनाम भी पढ़ना चाहिए। 17=कमलगट्टे का ,धनिया का प्रयोग जरूर करना चाहिए। 18=5 कौड़ी और 11 हल्दी के गांठ को जरूर चढ़ाना चाहिए ,जितने भी समुद्र के रत्न हैं उनको भी माता पर चढ़ाना चाहिए 19=लौगं कपूर आदि के द्वारा आरती करना चाहिए । 20=दक्षिणावर्ती शंख से श्री सूक्त का पाठ करते हुए लक्ष्मी जी का अभिषेक 16ऋचाओंकरना चाहिए। गोवर्धन पूजा - 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या का पर्व संपन्न होगा। इस दिन दोपहर 2:56 तक अमावस्या रहेगी। 13 नवंबर 2023 सोमवार को ही शाम को 6:50 से 8:13 के बीच में गोवर्धन पूजा संपन्न की जा सकती है। (प्रदोष काल ग्राह्य होने से ) सौभाग्य स्नान, बली पूजा अन्नकूट - दिनांक 14 नवंबर 2023 कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार को प्रातः काल सौभाग्य स्नान के बाद बली पूजा व अन्नकूट संपन्न होगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है ।इस दिन पशुधन की पूजा और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधान है। जीवन में स्थायित्व एवं सुख समृद्धि प्राप्त है विश्वकर्मा जी के निमित्त दीपदान करने से घर में टूट-फूट होने का भय नहीं होता है। दीप जलाकर विधि पूर्वक विभिन्न प्रकार से धन की प्राप्ति के लिए पूजन किया जाता है। हमारे जीवन में अन्न हमेशा से कृषि प्रधान देश की धारोहर रहा है। आरोग्य जीवन में सुख समृद्धि के साथ गोबर और वस्त्र आभूषण व मालाओं से गोवर्धन की पूजा की जाती है पृथ्वी को धारण करने वाले गोवर्धन रक्षा करें इसे अपनी भुजाओं पर कृष्ण ने उठाया था इससे शरद कालीन उपज परिपक्व होकर घरों में आ जाती है। भंडार परिपूर्ण हो जाते हैं अर्थात निश्चिंत होकर लोग उपज के अनाजों के विभिन्न प्रकार के पदार्थ बनाकर 56प्रकार के श्रीमन्नारायण को समर्पित कर , पदार्थों को उत्सव के रूप में मनाते हैं। भाई दूज - मध्यान्ह व्यापिनी तिथि के कारण 14 नवंबर 2023 मंगलवार को दोपहर 2:36 के बाद अर्थात 3:05 से 4:27 के बीच में तथा धर्म के अनुसार 15 नवंबर को प्रातः 11:01 से 12:22 के बीच में भाई दूज पर्व संपन्न किया जा सकेगा।कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दृतिया बहन अपने भाई को स्वागत सत्कार से भोजन कराकर आनंद बनाया जाता है। यम द्वितीया भाई दूज के नाम से जाना जाता है। यम और यमुना सूर्य देव की संतान है,इस दिन भाई यम को भोजन पर बुलाने के कारण यह उत्सव मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के दिन जीवन वृद्धि के लिए यम देवता के निर्मित दीपदान करते हैं इस दिन यमुना नदी में स्नान पूजन दीप दान करना चाहिए और उनको यम के भय से मुक्ति मिलती है। धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज। पाहि मां किंकरैंः सार्धँ सूर्यपुत्र नमोस्तुते।। चित्रगुप्त पूजन में कलम दवात की पूजन की जाती है।और बहीखाते का पूजन भी लेखा जोखा लिखा जाता है। बही-खाता पूजन बही खातों का पूजन करने के लिए पूजा मुहुर्त समय अवधि में नवीन बहियों व खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से अथवा लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए. इसके बाद इनके ऊपर "श्री गणेशाय नम:" लिखना चाहिए. इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए. इसके साथ ही निम्न मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।, या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभि र्देवै: सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।। ऊँ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम: सात्विक लक्ष्मी आपके घर स्थित रहे। श्री रोकड़ मिलान कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा विक्रम संवत 2080 मंगलवार दिनांक 14 नवंबर 2023 प्रातः 11:02 से 1:43 के मध्य । लाभ पंचमी दुकान / प्रतिष्ठान खोलने का मुहूर्त - दिनांक 18 नवंबर शनिवार प्रातः 8:20 से 9:18 के मध्य । दीपावली पूजन की संक्षिप्त विधि  जिसे कोई भी सामान्य व्यक्ति कर सकता है दीपोत्सव मनाने का शास्त्रीय आचरण पवित्रीकरण करने के पश्चात आचमन प्राणायाम करके परस्पर सबको तिलक लगाए मौली बांधे, दीपक प्रज्वलित करें बाजोट पर कलश व गणेश लक्ष्मी जी विराजीत करें। गणेश जी, कुल देवी देवताओं तथा दसों दिशाओं को नमस्कार करें। फिर हाथ में जल कुमकुम अक्षत पुष्प सुपारी लेकर के संकल्प करें कि आज परम मंगल को देने वाली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या दीपोत्सव तिथि वार को मैं / हम गोत्र का उच्चारण करते हुए बोलना है अपने परिवार एवं कुटुंब के साथ स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए नीति पूर्वक धन का उपार्जन करते हुए सभी कष्टों को दूर करने के लिए इच्छित मन की अभिलाषा की पूर्ति के साथ राज्य व्यापार उद्योग में लाभ मिलें इसके लिये गणपति नवग्रह महाकाली महालक्ष्मी महा सरस्वती का ध्यान करते हुए श्री गणेश जी के परिवार सहित महालक्ष्मी जी और सरस्वती जी का पूजन करता हूँ। ऐसा बोलते हुए हाथ में ली गई सुपारी पुष्प जल भगवानआदि अर्पित करें । कमल गट्टे साबूत हल्दी अर्पित करें। ऋतुफल चढ़ाएं। फिर आठ मंत्र बोलते हुए कमल पुष्प या कमल गट्टे अर्पित करें। ॐ अणिम्ने नमः । ॐ महिम्ने नमः । ॐ गरिम्ने नमः । ॐ लघिम्ने नमः । ॐ प्राकाम्ये नमः । ॐ ईशिताय नमः । ॐ वशिताय नमः । ॐ प्रकाशिताये नमः । इसके बाद महालक्ष्मी जी को मिठाई प्रसाद अर्पण करके पान-सुपारी लोंग इलायची फल चढ़ाकर प्रार्थना करें। नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुर पूजिते शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते । उक्त प्रार्थना करके बही खाता पूजन करें। सस्वती का पूजन करके कलम दवात का पूजन करें। तराजू व गल्ले का भी पूजन करें। हाथ जोड़कर के प्रार्थना करें। ॐ धनदाय नमस्तुभ्यं निधि पद्मधिपाय च । भवन्तु त्वत्प्रदानं में धन धान्यादि सम्पदा ।। कुबेराय नमस्तुभ्यं नाना भंडार संस्थिता । यत्र लक्ष्मिर्भवेददेवं धनं चिनु नमोस्तुते।। उसके बाद महालक्ष्मी जी को प्रणाम करके आरती करें व पुष्पांजलि अर्पित करें। मिठाई प्रसाद ग्रहण करके परिवार सहित माता-पिता से आशीर्वाद लें उन्हें प्रणाम करें। र

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