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लाभ पंचमी

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लाभ पंचमी

लाभ पंचमी का मुहूर्त =============== कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 17 नवंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 18 नवंबर 2023 को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। प्रातःकाल लाभ पञ्चमी की पूजा का मुहूर्त - सुबह 06:45 - सुबह 10:19 अवधि - 3 घंटे 34 मिनट लाभ पंचमी महत्व =============== हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन कोई भी नया बिजनेस शुरू किया जा सकता है। दिवाली के बाद व्यापारी वर्ग इस दिन अपने दुकान और प्रतिष्ठान पुनः शुरू करते हैं। लाभ पंचमी पर अबूझ मुहूर्त रहता है। ऐसा माना जाता है कि लाभ पंचमी के दिन की गई पूजा से लोगों के जीवन, व्यवसाय और परिवार में लाभ, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्यवसायी नए खाता बही का उद्घाटन करते हैं और मां लक्ष्मी से व्यापार में वृद्धि के लिए कामना करते हैं। पूजा विधि ======== लाभ पंचमी पर सुबह जल्दी नहाने के बाद से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव हनुमान जी और गणेश की मूर्तियों की पूजा करें। सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर श्री गणेश जी के रूप में विराजित करना चाहिए। चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को भस्म, बिल्व पत्र, धतूरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए। भोग चढ़ाएं और फिर नए बही खाता पर शुभ-लाभ लिखकर व्यापार की शुरुआत करें। दीपावली के बाद लाभ पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन शिव परिवार, मां लक्ष्मी की पूजा के साथ नए व्यापार की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और रोशनी के इस त्योहार का अंतिम दिन लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है। लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लाभ पंचम के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है इस दिन शिव परिवार और माता लक्ष्मी की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है और अपने नाम स्वरूप ये तिथि लाभ प्रदान करती है। लाभ पंचमी की तिथि ================ इस साल लाभ पंचमी 18 नवंबर 2023 शनिवार को है। गुजरात में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। बिजनेस करने वाले लोग इस दिन भी शुभ मुहूर्त में अपना प्रतिष्ठान खोलना पसंद करते है। ये तिथि सुख और समृद्धि बढ़ाती है। प्रगति होती है। ➡ कार्तिक शुक्ल पंचमी ‘लाभ पंचमी कहलाती है। इसे ‘सौभाग्य पंचमी भी कहते हैं। जैन लोग इसको ‘ज्ञान पंचमी कहते हैं। व्यापारी लोग अपने धंधे का मुहूर्त आदि लाभ पंचमी को ही करते हैं। लाभ पंचमी के दिन धर्मसम्मत जो भी धंधा-व्यापार शुरू किया जाता है उसमें बहुत बरकत आती है। यह सब तो ठीक है लेकिन संत-महापुरुषों के मार्गदर्शन-अनुसार चलने का निश्चय करके भगवद्भक्ति के प्रभाव से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार इन पाँचों विकारों के प्रभाव को खत्म करने का दिन है लाभ पंचमी। 👉🏻 (१) लाभपंचमी के पाँच अमृतमय वचनों को याद रखो :~ ➡ पहली बात : ‘भगवान हमारे हैं, हम भगवान के हैं - ऐसा मानने से भगवान में प्रीति पैदा होगी। ‘शरीर, घर, संबंधी जन्म के पहले नहीं थे और मरने के बाद नहीं रहेंगे लेकिन परमात्मा मेरे साथ सदैव हैं - ऐसा सोचने से आपको लाभ पंचमी के पहले आचमन द्वारा अमृत पान का लाभ मिलेगा। ➡ दूसरी बात : हम भगवान की सृष्टि में रहते हैं, भगवान की बनायी हुई दुनिया में रहते हैं। तीर्थभूमि में रहने से पुण्य मानते हैं तो जहाँ हम-आप रह रहे हैं वहाँ की भूमि भी तो भगवान की है; सूरज, चाँद, हवाएँ, श्वास, धडकन सब-के-सब भगवान के हैं, तो हम तो भगवान की दुुनिया में, भगवान के घर में रहते हैं। मगन निवास, अमथा निवास, गोकुल निवास ये सब निवास ऊपर-ऊपर से हैं लेकिन सब-के-सब भगवान के निवास में ही रहते हैं। यह सबको पक्का समझ लेना चाहिए। ऐसा करने से आपके अंतःकरण में भगवद्धाम में रहने का पुण्यभाव जगेगा। ➡ तीसरी बात : आप जो कुछ भोजन करते हैं भगवान का सुमिरन करके, भगवान को मानसिक रूप से भोग लगाके करें। इससे आपका पेट तो भरेगा, हृदय भी भगवद्भाव से भर जायेगा। ➡ चौथी बात : माता-पिता की, गरीब की, पड़ोसी की, जिस किसी की सेवा करो तो ‘यह बेचारा है, मैं इसकी सेवा करता हूँ, मैं नहीं होता तो इसका क्या होता - ऐसा न सोचो; भगवान के नाते सेवाकार्य कर लो और अपने को कर्ता मत मानो। ➡ पाँचवीं बात : अपने तन-मन को, बुद्धि को विशाल बनाते जाओ। घर से, मोहल्ले से, गाँव से, राज्य से, राष्ट्र से भी आगे विश्व में अपनी मति को फैलाते जाओ और ‘सबका मंगल, सबका भला हो, सबका कल्याण हो, सबको सुख-शांति मिले, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः; इस प्रकार की भावना करके अपने दिल को बड़ा बनाते जाओ। परिवार के भले के लिए अपने भले का आग्रह छोड़ दो, समाज के भले के लिए परिवार के हित का आग्रह छोड़ दो, गाँव के लिए पड़ोस का, राज्य के लिए गाँव का, राष्ट्र के लिए राज्य का, विश्व के लिए राष्ट्र का मोह छोड़ दो और विश्वेश्वर के साथ एकाकार होकर बदलने वाले विश्व में सत्यबुद्धि तथा उसका आकर्षण और मोह छोड़ द । 🙏🏻 तब ऐसी विशाल मति जगजीत प्रज्ञा की धनी बन जायेगी।

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