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: उत्पन्ना एकादशी व्रत

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: उत्पन्ना एकादशी व्रत

उत्पत्ति एकादशी ➡️ 08 दिसम्बर 2023 शुक्रवार को प्रातः05:07 से 09 दिसम्बर, शनिवार को सुबह 06:31 तक एकादशी है। 💥 विशेष - 08 दिसम्बर 2023 शुक्रवार को उत्पत्ति एकादशी (स्मार्त), 09 दिसम्बर 2023 शनिवार को उत्पत्ति एकादशी (भागवत), 09 दिसम्बर, शनिवार को एकादशी का व्रत उपवास रखें । 🙏🏻 उत्पत्ति एकादशी ( व्रत करने से धन, धर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है | - पद्म पुराण ) हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के हृदय से माता उत्पन्ना प्रकट हुई थी। इसी के कारण इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस दिन श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानें आचार्य श्री गोपी राम से उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि… ⚛️ शुभ मुहूर्त मार्गशीर्ष माह की एकादशी तिथि 08 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 09 दिसंबर सुबह 06 बजकर 31 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 08 दिसंबर को रखा जाएगा। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग यह व्रत 09 दिसंबर को रखेंगे। ✡️ उत्पन्ना एकादशी 2023 पर शुभ योग 08 दिसम्बर 2023 को पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन हस्त और चित्रा नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही सुबह से रात 12 बजकर 5 मिनट तक सौभाग्य योग बन रहा है। ⏳ एकादशी 2023 पारण का समय उत्पन्ना एकादशी के दिन हरि वासर का समापन 9 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर होगा। इसके बाद आप पारण कर सकते हैं। एकादशी व्रत का पारण 9 दिसंबर, शनिवार को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट तक कर सकते हैं। 🤷🏻‍♀️ इस तरह करें अभिषेक एकादशी तिथि गाय के दूध (कच्चा दूध) में केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। आप उत्पन्ना एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर भी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अभिषेक कर सकते हैं। इससे साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। 💁🏻‍♀️ इस विधि से करें पूजा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर व्रत संकल्प लें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि पीला रंग भगवान श्री हरि का प्रिय माना गया है। भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी का भी पूजन करें। इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। 🙏🏼 उत्पन्ना एकादशी 2023 पूजा विधी उत्पन्ना एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। फिर भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करें। एक लकड़ी की चौकी में पीला रंग का वस्त्र बिछाकर श्री विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद स्वयं आसन में बैठ जाएं। फिर पूजा आरंभ करें। सबसे पहले आचमन करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, माला चढ़ाने के साथ पीला चंदन लगाएं। इसके बाद केला सहित अन्य फलों के अलावा पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं। फिर जल अर्पित करें। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा, विष्णु मंत्र, विष्णु चालीसा आदि का पाठ करने के बाद अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें। पूरे दिन व्रत रखें। अगले दिन दोबारा भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद शुभ मुहूर्त में व्रत खोल लें हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l    राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।। 💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l 💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। 💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है। 💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

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