बार-बार असफलता के लिए “जल में विसर्जन” से जुड़े शक्तिशाली उपाय:
1. नींबू-लौंग विसर्जन प्रयोग (शनिवार या अमावस्या को): • एक नींबू में 4 लौंग गाड़ें। • उस पर “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भैरवाय नमः” मंत्र बोलें (21 बार)। • नींबू को बहते जल में (नदी/तालाब) प्रवाहित करें। • यह नकारात्मकता, भूत-प्रेत बाधा और असफलताओं को काटता है। ⸻ 2. नारियल और सिक्का प्रयोग (गुरुवार या रविवार को): • एक नारियल लें, उसके साथ 1 या 5 सिक्के (तांबे/चांदी के) और थोड़ा चावल कपड़े में बांधें। • “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करते हुए, बहते जल में अर्पित करें। • सूर्य दोष, आत्मबल की कमी, और बार-बार की विफलता दूर होती है। ⸻ 3. पितृदोष निवारण जल-तर्पण (प्रतिपदा, अमावस्या या श्राद्ध काल): • पवित्र नदी में पितरों के नाम से तिल, जल और कुश से तर्पण करें। • मंत्र: “ॐ पितृभ्यो नमः” (11 बार) • इससे अनजाने में किए गए पाप या पितृदोष के कारण आने वाली रुकावटें शांत होती हैं। ⸻ 4. नीले फूलों और काले तिल का प्रयोग (शनिवार): • काले तिल और नीले फूल “शनि देव” को समर्पित करें। • जल में प्रवाहित करें — विशेषकर यदि शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या हो। ⸻ 5. कागज में अपनी समस्या लिखकर प्रवाहित करना (चंद्र ग्रह दोष/मन की उलझन): • एक कागज पर अपनी बार-बार की समस्या संक्षेप में लिखें। • उसे मोड़कर, “ॐ नमः शिवाय” बोलते हुए जल में प्रवाहित करें। • यह एक मनोवैज्ञानिक व आध्यात्मिक release technique है। ⸻विशेष सुझाव: • प्रवाहित करते समय “बोलकर छोड़ना” जरूरी है — मन में भाव रखें: “मैं ये असफलता, भय, रुकावटें छोड़ रहा हूँ।” • यदि संभव हो, तो नदी या पवित्र जल में ही विसर्जन करें। • प्रत्येक विसर्जन के बाद 1 दीपक जलाकर प्रार्थना करें।