आग, क्रोध और रहस्य के ग्रह जब सिंह की अग्निराशि में मिलते हैं — तो क्या परिणाम केवल आंतरिक उथल-पुथल तक सीमित रहता है, या वैश्विक स्तर पर भी इसका प्रभाव दिखता है?
मंगल – युद्ध, ऊर्जा और आक्रोश का प्रतिनिधि है, वहीं केतु – रहस्य, कटौती और आध्यात्मिक विच्छेदन का। जब ये दोनों ग्रह सिंह राशि में एक साथ आते हैं, तो नेतृत्व, सत्ता और अहं के क्षेत्र में अप्रत्याशित बदलाव, दुर्घटनाएं, या सत्तात्मक संघर्ष संभव हो सकते हैं। यह युति जन्मकुंडली और गोचर दोनों में व्यक्तिगत और वैश्विक विस्फोटक स्थितियाँ उत्पन्न कर सकती है – विशेषकर यदि यह ग्रह आपकी जन्मकुंडली में प्रमुख भावों से जुड़ते हों। 2025 में मंगल और केतु दोनों ग्रह सिंह राशि (Leo) में एक समय पर आ सकते हैं। आइए इसके संभावित समय और प्रभाव पर एक संक्षिप्त नज़र डालते हैं:मंगल का सिंह राशि में गोचर (Transit of Mars in Leo):
मंगल हर राशि में लगभग 45 दिन तक रहता है। 2025 में मंगल का सिंह राशि में गोचर संभावित रूप से जुलाई–अगस्त 2025 के दौरान हो सकता है।केतु का सिंह राशि में गोचर:
केतु धीमा चलने वाला छाया ग्रह है, जो लगभग 18 महीने एक राशि में रहता है। केतु 18 फरवरी 2025 को कन्या राशि (Virgo) में प्रवेश करेगा, यानी उससे पहले वह सिंह राशि में था। इसका मतलब है कि: जनवरी 2025 तक केतु सिंह राशि में रहेगा, और अगर मंगल भी जनवरी 2025 में सिंह राशि में आता है, तो मंगल-केतु का युति (संयोग) सिंह राशि में हो सकता है।7 जून 2025 से 28 जुलाई 2025 तक का समय देखना है — और इस दौरान मंगल और केतु सिंह राशि में
मंगल का गोचर – सिंह राशि में कब? 2025 में मंगल का गोचर विवरण: मंगल सिंह राशि में प्रवेश करता है 7 जून 2025 को और 28 जुलाई 2025 तक सिंह राशि में ही रहता हैयानी: 7 जून – 28 जुलाई 2025 तक मंगल सिंह राशि में रहेगा।
7 जून से 28 जुलाई 2025 के बीच: मंगल सिंह राशि में है7 जून से 28 जुलाई 2025 की अवधि के राजनीति और युद्ध जैसे वैश्विक या राष्ट्रीय मुद्दों पर संभावित प्रभाव** को लेकर है, विशेषकर जब मंगल सिंह राशि में रहेगा। आइए इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करें:मंगल सिंह राशि में — क्या संकेत देता है?
मंगल एक युद्धकारक, आक्रामक और साहसी ग्रह है। जब यह सिंह राशि (Leo) में आता है — जो कि सूर्य की राशि है और सत्ता, नेतृत्व, अहंकार और शक्ति का प्रतीक है — तब कुछ विशिष्ट संभावनाएँ बनती हैं: संभावित प्रभाव (राजनीति और युद्ध के लिहाज से): सत्ता संघर्ष: विश्व के कई देशों में राजनीतिक उथल-पुथल, तख्तापलट या नेतृत्व परिवर्तन जैसे संकेत मिल सकते हैं। युद्ध जैसे हालात: किसी सीमावर्ती क्षेत्र में सैन्य तनाव, सीमा विवाद, या हमले की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं। कूटनीतिक टकराव: देशों के बीच गंभीर विवाद, विशेषकर गर्व/अहंकार की वजह से। नेताओं की बयानबाज़ी तीखी हो सकती है, जिससे संघर्ष की स्थिति और बढ़ सकती है। इस स्थिति में मंगल का प्रभाव इस प्रकार हो सकता है: सिंह राशि के जातकों के लिए ऊर्जावान, साहसी और आत्मविश्वास से भरा समय। राजनीति, नेतृत्व, सेना, पुलिस, प्रशासन आदि क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ेगी। कुछ मामलों में क्रोध या अहं का टकराव हो सकता है, विशेषकर यदि कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति अशुभ हो।अन्य ग्रहों की स्थिति (इस अवधि में):
केतु सिंह में है — यह गुप्त चालों और रणनीति को दर्शाता है।
राहु कुंभ राशि में — भावनात्मक उकसावे और भ्रम का वातावरण बना सकता है।
शनि मीन राशि में — शासन व्यवस्था और सामाजिक ढाँचे पर दबाव।
गुरु (बृहस्पति) मिथुन में — अर्थव्यवस्था और वैश्विक संसाधनों पर प्रभाव।
इन सभी का सम्मिलित प्रभाव यह दर्शाता है कि: यह समय राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य हलचल, और विचारधाराओं का टकराव लेकर आ सकता है, विशेषकर वे देश जिनकी कुंडली पर सिंह राशि या मंगल विशेष रूप से प्रभावशाली है (जैसे भारत, अमेरिका, रूस, चीन, इज़राइल आदि)।भारत की कुंडली पर प्रभाव (संक्षेप में):
भारत की स्वतंत्रता की कुंडली (15 अगस्त 1947, रात्रि 00:00, दिल्ली) के अनुसार, मंगल सिंह राशि में होकर दशम भाव (सत्ता, शासन) पर दृष्टि डालता है, जिससे सरकारी निर्णयों में तीव्रता, सेना की सक्रियता, या बाहरी सीमा पर तनाव हो सकता है। निष्कर्ष (7 जून – 28 जुलाई 2025): राजनीतिक क्षेत्र में आग उगलने वाली बयानबाज़ी सीमा या समुद्री क्षेत्रों में सैन्य हलचल कुछ देशों में गृह-कलह या सत्ता परिवर्तन सामूहिक उग्र प्रदर्शन या दंगे की संभावनाएँ हैइस युति के प्रभाव (संभावित फल):
मंगल + केतु की युति को वैदिक ज्योतिष में थोड़ा अशांत संयोजन माना जाता है: राजनीतिक तनाव या सत्ता संघर्ष आगजनी, दुर्घटनाएँ या अचानक घटनाएँ क्रोध, जल्दबाज़ी या वाणी में कटुता सिंह राशि में होने से ये प्रभाव राजनीति, नेतृत्व, और प्रतिष्ठा के क्षेत्र में अधिक देखे जा सकते हैं।