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मिथुन का गुरु अतिचारी होने से विवाह पर ग्रहण लगा रहा?🌒 गोचर में बाधा के सामान्य कारण (2025–2026)

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मिथुन का गुरु अतिचारी होने से विवाह पर ग्रहण लगा रहा?🌒 गोचर में बाधा के सामान्य कारण (2025–2026)

मिथुन का गुरु अतिचारी होने से विवाह पर ग्रहण लगा रहा?

"मिथुन राशि में गुरू के अतिचारी होने से क्या विवाह पर ग्रहण लगता है?"

आइए इसे वैदिक दृष्टिकोण से विस्तार से समझते हैं।


🌠 सबसे पहले: 'अतिचारी गुरु' का क्या अर्थ है?

अतिचारी गुरु का अर्थ है —
जब बृहस्पति (गुरु) अपनी राशि से तीव्र गति से या वक्री होकर दूसरे स्थानों पर प्रवेश करता है, विशेषकर कम समय में दो या तीन राशियाँ पार करता है, तो उसे अतिचारी कहा जाता है।

यह दशा कभी-कभी भ्रम, अस्थिरता और मूल भावों में बदलाव ला सकती है।


मिथुन राशि में गुरू का प्रभाव — सामान्य तौर पर:

बृहस्पति मिथुन (Mercury की राशि) में थोड़ा असहज होता है क्योंकि:

  • गुरु ज्ञान, धर्म, संस्कार का ग्रह है,

  • मिथुन बुद्धि, तर्क, और चंचलता का।

इसलिए इस स्थिति में व्यक्ति:

  • बहुत सोचता है, पर निर्णय टालता है।

  • विवाह जैसे स्थायी बंधन में जाने से हिचकता है।

  • तर्क, तुलना, असुरक्षा बढ़ती है।


🔄 अब अगर गुरु 'अतिचारी' हो जाए – तब प्रभाव:

  1. विवाह संबंध में भ्रम, असमंजस
    👉 रिश्ते बनते हैं पर टिकते नहीं।
    👉 बार-बार मन बदलता है: “ये सही है या नहीं?”

  2. वर-वधू चयन में देरी / समस्याएँ
    👉 योग बनने पर भी रिश्ता टल जाता है।
    👉 कभी-कभी "अच्छे प्रस्ताव" को भी मना कर दिया जाता है।

  3. संस्कारिक बाधा
    👉 कुंडली मिलान में कोई न कोई दोष आ जाता है
    👉 माता-पिता या समाज का असहयोग

  4. पुराने रिश्तों की छाया
    👉 यदि पहले कोई रिश्ता रहा हो, तो उसका असर मन से हटता नहीं
    👉 comparison से नया रिश्ता कमजोर पड़ सकता है


🔮 क्या ये 'विवाह पर ग्रहण' है?

✔️ पूर्ण ग्रहण नहीं, पर मानसिक और निर्णयात्मक अवरोध ज़रूर होता है।
👉 यह कर्मयोग के साथ साथ मानसिक दृढ़ता की परीक्षा का समय होता है।
👉 यदि नवमांश, दशांश, और दशा-भुक्ति भी साथ नहीं दे रही हो, तो यह स्थिति विवाह में गंभीर अड़चन ला सकती है।


🕉️ उपाय – गुरु दोष और विवाह रुकावट के लिए

🌼 आध्यात्मिक उपाय:

  • गुरुवार को गुरु स्तोत्र / बृहस्पति गायत्री मंत्र का जाप करें

  • पीली वस्तु का दान (चने की दाल, हल्दी, पीले वस्त्र)

  • किसी ब्राह्मण को सिंदूर लगी पीली पाँववाली किताब देना (गुरु का गुप्त उपाय)

🌸 वैवाहिक विशेष उपाय:

  • गौरी-शंकर रुद्राक्ष” पहनना (विशेषकर कन्याओं को)

  • विवाह बाधा नाशक दुर्गा कवच” का नित्य पाठ

  • शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को 7 कुँवारी कन्याओं को सिंदूर, कंघी, नारियल, लाल चूड़ी, पीली मिठाई का दान


विशेष नोट:

यदि आपकी या किसी की कुंडली में मिथुन राशि में गुरु बैठा है या गोचर में आया है, और दशा–अंतर्दशा में गुरु चल रहा है, तो यह समय निर्णयों को सोच-समझकर लेने का है।


  • वैदिक विवाह (सप्तपदी, अग्नि-साक्षी) संपन्न हो चुका है, फिर भी:

    🌒 गोचर में बाधा के सामान्य कारण (2025–2026):

    1. केतु का सिंह में गोचर (मघा/पूर्वा फाल्गुनी):

    • वंश, सम्मान, परिवार को लेकर संशय

    • अहंकार, पूर्व संस्कारों का टकराव

    • पिता या कुल परंपरा के कारण मनमुटाव

    2. शनि का कुम्भ में और गुरु का वृषभ में गोचर:

    • यह स्थिति दांपत्य सुख को समय लेट करके देती है

    • गुरु की दृष्टि सही ना हो तो ग्रहस्थ जीवन में एकांत, संवादहीनता आती है

    3. यदि सप्तम भाव या सप्तमेश पर राहु/केतु/शनि की दृष्टि हो:

    • तो संबंध में भ्रम, दूरियाँ या वैवाहिक जीवन के लिए मानसिक ठंडापन आ सकता है


    💠 यदि विवाह हुआ पर ग्रहों के अनुसार फल नहीं मिल रहा तो क्यों?

    1. दांपत्य योग तो बन गया, पर ग्रह अभी फल देने की दशा में नहीं हैं।

      • विवाह होना अलग है,

      • विवाह-सुख देना अलग विषय है।

    2. गोचर में मंगल-शनि या गुरु-केतु का प्रभाव:

      • संघर्ष, जिद, संवादहीनता

      • वैवाहिक जीवन में मानसिक या पारिवारिक विघ्न

    3. नवमांश (D9) कुंडली में सप्तम भाव का दुर्बल होना

      • विवाह हो सकता है, पर रिश्ते में स्थायित्व और अपनत्व कम महसूस होता है।


    ✅ समाधान — जब विवाह हो गया हो, पर ग्रह बाधा दे रहे हों

    🕉️ वैदिक उपाय:

    • प्रतिदिन शिव पार्वती विवाह स्तोत्र का पाठ (दोनों करें या लड़की करें)

    • 7 सोमवार को गौरी पूजन और सौभाग्य सामग्री का दान

    • रुद्राभिषेक करें विशेषकर चंद्रग्रहण या सोमवार को

    • सप्तमेश के अनुसार रत्न या यंत्र धारण

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