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खगोलीय योगों, ग्रहों की गति श्रावण मास 2025 की ज्योतिषीय भविष्यवाणी

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खगोलीय योगों, ग्रहों की गति श्रावण मास 2025 की ज्योतिषीय भविष्यवाणी

आषाढ़ मास, गुरु अस्त, पंचवार गुरुवार, और ग्रह-योगों के आधार पर राजनीतिक, भौगोलिक, आर्थिक, और धार्मिक प्रभावों की ओर संकेत करता है।

 2025: गुरु, सूर्य और केतु के ग्रहयोग में वैश्विक संकेत


🌐 राजनीतिक / वैश्विक घटनाएँ:

🔸 "यत्र मासे पंचवाराः..." – पाँच गुरुवार होने से,
पश्चिमी देशों में सैन्य संघर्ष, सीमाविवाद, खण्ड युद्ध की आशंका।

🔸 अमेरिका / नाटो गठबंधन किसी विवाद में हस्तक्षेप कर सकता है।

🔸 कश्मीर मुद्दा फिर से गर्माया जा सकता है।
🔸 सीमा सुरक्षा अत्यंत आवश्यक – LAC व LoC दोनों ओर

🔸 त्रिग्रही योग (सूर्य-चंद्र-गुरु)
👉 आतंकी घटनाएँ, घातक संगठन सक्रिय हो सकते हैं।

🔸 पाकिस्तान में आर्थिक संकट (अन्न, ईंधन, आवश्यक वस्तुओं का अभाव)।
👉 शासन में परिवर्तन या जनविरोध की स्थिति बन सकती है।


🛢️ आर्थिक प्रभाव (सिंह राशि मंगल-केतु + शनि दृष्टि):

  • लोहा, तांबा, पीतल, वाहन, हथियार, तेल, गैस – भारी तेजी संभव।

  • व्यापारियों के लिए लाभ और हानि दोनों की संभावना।

  • बाज़ार में "तेजी + छीना-झपटी" जैसे संकेत।


📜 राजनीतिक बदलाव:

  • कोई राजनीतिक दल / नेता पदच्युत हो सकता है।

  • अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर संभव।


☁️ प्राकृतिक आपदाएँ:

  • बादल चाल, वायु वेग, असामान्य वर्षा, जल प्रलय, भूकंप, पहाड़ खिसकना
    👉 यातायात और जनजीवन प्रभावित हो सकता है।

  • वज्रपात और दिग्दाह (दिशाओं में अग्नि/विनाश) के संकेत।


🌙 धार्मिक संकेत – मुहर्रम 1447 हिजरी प्रारंभ (आषाढ़ शुक्ल द्वितीय शुक्रवार):

  • धनु लग्न में सूर्य-गुरु + शनि दृष्टि:
    👉 इस्लामी देशों का वर्चस्व बढ़ सकता है।
    👉 कट्टरता को बढ़ावा मिलने की संभावना।
    👉 वैश्विक साम्प्रदायिक असंतुलन।


🌧️ मौसम संकेत (दक्षिण भारत):

  • जून अंत में दक्षिणी भारत में मानसून प्रभावी होगा।


"गुरु अस्त और केतु-मंगल युति" एक बड़ा परिवर्तनकाल लेकर आ रहा है —
जहां धार्मिक, राजनीतिक, और प्राकृतिक क्षेत्रों में भारी हलचल संभव है।
जागरूकता, तैयारी और सतर्कता ही समाधान है।

श्रावण 2025 : पांच शुक्रवार और ग्रहों की उथल-पुथल

🗓️ ज्योतिषीय विवेचन: 13 जुलाई से 27 जुलाई 2025 तक विशेष प्रभाव


🌸 पांच शुक्रवार: सौहार्द का संकेत

  • श्रावण में पांच शुक्रवार – कुछ देशों में मैत्री, वार्ता और शांति प्रयास के संकेत।

  • शुक्र-गुरु का संयोग – सामाजिक संबंध, व्यापार और सांस्कृतिक मेलजोल में वृद्धि।


🔥 13 जुलाई से शनि वक्री + गुरु अतिचारी:

🔹 शनि वक्री (13 जुलाई, रविवार)
🔹 गुरु अतिचारी
🪐 संकेत:

"अंतरराष्ट्रीय जगत में कोलाहल, आरोप-प्रत्यारोप, तनाव।"

श्लोक:

"अतिचार गते जीवे शनौ वक्रत्व भागते।
हा हा भूतं जगत्सर्वं रूण्ड मुण्डा च मेदिनी॥"

🔸 पृथ्वी पर "रूण्ड-मुण्ड" लुढ़क सकते हैं — युद्ध, हमले, अस्थिरता।
🔸 कोई देश अनावश्यक रूप से दूसरे देश को छेड़ सकता है।
🔸 भारत को सीमाओं पर विशेष सतर्कता की ज़रूरत।


🌋 प्राकृतिक संकेत:

  • बादल चाल असामान्य

  • कम या ज़्यादा वर्षा, बाढ़

  • बाँध टूटने की स्थिति

  • भूकंप, भूस्खलन

  • ज्वालामुखी विस्फोट

  • आकाशीय हलचलें और दिग्दाह (दिशाओं में अग्निकांड)


🛑 27 जुलाई – विशेष त्रिकोणात्मक योग

📆 27 जुलाई 2025, रविवार (श्रावण शुक्ल तृतीया)

  • गुरु + शुक्र = मिथुन राशि में एक साथ

  • पापग्रह शनि-भौम (मंगल) दृष्टि संबंध

संकेत:
🔺 राजनैतिक, सामाजिक गतिरोध
🔺 जातिवाद, दंगे-फसाद, धार्मिक टकराव
🔺 मंदिर-मस्जिद-चर्च जैसे संस्थानों पर विवाद
🔺 बाजार में उथल-पुथल, अनावश्यक तेजी या गिरावट

श्लोक:

"गुरौ शुक्रौ यदैकस्थो नर युद्धं तदा भवेत्।
अकाले वा भवेद् वृष्टिर्जगत्या नात्र संशयः॥"


🌡️ मौसम और जीवनशैली संकेत:

  • अधिक गर्मी

  • यातायात में रुकावटें

  • भवनों, संरचनाओं को हानि

  • कहीं अत्यधिक वर्षा, कहीं सूखा


📌 निष्कर्ष:

आषाढ़ और श्रावण 2025 – ग्रहों की तीव्र चाल, पापग्रहों का संयोग,
जिससे प्राकृतिक, राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्रों में असंतुलन संभावित है।
सावधानी, विवेक, और सूझबूझ से काम लेना आवश्यक।

 श्रावण मास 2025 की ज्योतिषीय भविष्यवाणी 🔱

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