
जब शक्ति और संपत्ति दोनों चाहिए, तब वरलक्ष्मी व्रत करें!
वरलक्ष्मी व्रत 2025: 8 अगस्त 2025 को वरलक्ष्मी व्रत मनाया जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोई साधारण उपवास नहीं है? ये वही व्रत है जिसे स्वयं माता पार्वती ने महिलाओं के कल्याण, सुरक्षा और कलियुग के कष्टों से बचाने के लिए रखा था.
इस व्रत को इतना शक्तिशाली माना जाता है कि एक बार इसे श्रद्धा से करने से हजार अश्वमेध यज्ञों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है. यह न केवल देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का मार्ग है, बल्कि यह माता पार्वती की करुणा और शक्ति का भी प्रतीक है.
वरलक्ष्मी व्रत से मां लक्ष्मी और मां पार्वती की प्राप्त होती है. स्कंद पुराण में वर्णित है कि इस व्रत के माध्यम से देवी कहती हैं •“मैं तुम्हारे भीतर हूं, मुझे जागृत करो”. जब एक स्त्री श्रद्धा से वरलक्ष्मी व्रत करती है, तो वह मात्र धन नहीं, बल्कि एक ऐसी शक्ति को आमंत्रित करती है जो हर संकट को आशीर्वाद में बदल देती है.
🪔क्यों रखा जाता है वरलक्ष्मी व्रत?
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यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने परिवार की सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है. किंवदंती है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि स्त्रियों के लिए कौन-सा व्रत कलियुग में सबसे फलदायक होगा, तब शिवजी ने उन्हें वरलक्ष्मी व्रत के बारे में बताया और माता ने इसे स्वयं सबसे पहले रखा.
🪔कौन-कौन से वर मिलते हैं इस व्रत से?
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* विवाह में विलंब हो तो इसका फल शीघ्र विवाह देता है.
* दांपत्य जीवन में प्रेम और शांति आती है.
* संतान के कष्ट दूर होते हैं, मातृत्व सुख मिलता है.
* चीरकालीन धन प्राप्त होता है.
* चिंता-मुक्त स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
🪔ये व्रत है सिर्फ कर्मकांड नहीं
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वरलक्ष्मी व्रत केवल दीप जलाना, कलश सजाना और धागा बांधना भर नहीं है. यह शक्ति की चेतना को आमंत्रित करने का दिन होता है. यह व्रत देवी लक्ष्मी की समृद्धि और देवी पार्वती की रक्षा शक्ति के मिलन का दिन माना जाता है. इस दिन किये व्रत की ऊर्जा महिलाओं को शक्ति और धन दोनों प्रदान करती है.
🪔व्रत की पूजा-विधि
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* सुबह स्नान कर पीले वस्त्र पहनें.
* मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करें.
* उसमें जल भरें, आम के पत्ते और नारियल रखें.
* देवी लक्ष्मी की पूजा करें, कमलगट्टे और कमल के फूल अर्पित करें.
* किसी पीले धागे में नौ गांठें बांधकर अपने दाएं हाथ में पहनें.
* पूजा पाठ के साथ इस दिन वरलक्ष्मी व्रत कथा को भी सुनें.