कर्माधिनेतारों शनि की इच्छाशक्ति
अब शनि मकर राशि रात्रि की राशि अंधकार में से उजाले की ओर प्रस्थान करते हैं जबकि मकर राशि में शश महापुरुष योग भी बनाते हैं शनि का धनिष्ठा नक्षत्र से सब दिशा ऊर्जा मंद गति से तेज यानी मंगल की ऊर्जा लेकर यह राहु से मित्रता की ओर बढ़ जाएंगे कुंभ राशि मानवीय शनि की स्थिर तामस गुण युक्त वायु तत्व राशि है ।
अल्पजीवन शक्ति ,बौद्धिक अनुभव युक्त सुसंस्कृत दृष्टिकोण, इच्छाओं का घंडा है।जो बूँद बूँद संग्रहण, संगठन,अविष्कारक, शुद्धीकरण कलात्मक साहित्यिक सलाह पुनर्निर्माण को फोकस करती है।
टाइम जोन .🌹... गोचर...
अतीत के झरोखेशनि इससे पहले 5 मार्च 1993 मेंसूर्य और बुध के साथ कुंभ राशि में प्रवेश किया था उस समय गोचर में राहु वृश्चिक में और केतु वृषभ राशि में थे कन्या राशि में गुरु का गोचर था...
इफ़ेक्ट:
जब कुंभ राशि में प्रवेश किया था ढाई वर्ष तक इन्होंने अमेरिका रूस ने परमाणु शस्त्रागार हथियार कम करने की एक संधि,वहीं पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने बमबारी भी की थी, जापान में सुनामी आई थी, कायना तेज भूकंप आया था, राष्ट्रीय उद्यान रॉयल में आग लग कर नष्ट हो गया था, नेल्सन मंडेला का चुनाव और सैटेलाइट टीवी सेवा से जुड़ गई थी..
शनि ग्रह:
खगोलीय दृष्टि से शनि हमारे सौरमंडल में सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण में बारह राशियों में शनि को मकर और कुम्भ राशि का स्वामी kमना गया है, शनि की उच्च राशि तुला तथा नीच राशि मेष है, शनि को एक क्रोधित ग्रह के रूप में उल्लेखित किया गया है। शनि का रंग काला नीला मिक्स है। शनि की गति नवग्रहों में सबसे धीमी है, इसी लिए शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक गतिमान रहता है, और बारह राशियों के चक्र को तीस साल में पूरा करता है। ज्योतिष में शनि को कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, अनुशाशन, दूरदृष्टि, प्राचीन वस्तु, लोहा, स्टील, कोयला, पेट्रोल, पेट्रोलयम प्रोडक्ट, चमड़ा, मशीन, औजार, तपस्या और अध्यात्म का कारक माना गया है। स्वास्थ की दृष्टि से शनि हमारे पाचन–तंत्र, हड्डियों के जोड़, बाल, नाखून,और दांत को नियंत्रित करता है।
शनि का यह साल धनिष्ठा नक्षत्र का होगा 18 फरवरी 22 से 14 मार्च 2023 तक होंगे... शनि एक मंद गति एक माह में एक अंश चलते हैं और हम सब तेज गति से काम करना चाहते हैं, वहीं पर मंगल ऊर्जा का कारक होकर धनिष्ठा नक्षत्र में धन के नक्षत्र में शनि कर्म के अनुसार आपको यह फल देंगे.. परंतु आपके अपने कर्मों के अनुसार..
गोचर का प्रभाव :
अगर इस समय ध्यान दें तो काल पुरुष की कुंडली में
मेष राहु सेनापति होकर बैठ जाएंगे और बात बात पर ही आक्रामक हो जाएंगे ... वही गुरु मोक्ष के कारक होकर मीन राशि में बैठ जाएंगे और विचारों के धन को देना शुरू करेंगे, शनि देव कर्म का फल देने के लिए एक रोल मॉडल के रूप में बूंद-बूंद करके सारी सत्ता को संवत्सर के राजा होकर संभालेंगे वहीं पर उनके मंत्री गुरु सलाहकार रूप में आ जाएंगे और मोक्ष के कारक तुला करके तू बन कर आ जाएंगे तो देखें जीव की यात्रा राहु गुरु के रूप में होगी जो कि नए शिशुओं के लिए अच्छा समय के रूप में नहीं होगी निश्चित रूप से .
काल पुरुष ओर शनि:
काल पुरुष के भाव की बात करते हैं तो कौन कौन से भाव एक्टिव हो रहे हैं 1,7,11,12.. लग्नेश मंगल का गोचर, सप्तमेश शुक्र का गोचर, एकादश शनि , और द्वादश गुरु.. का जुड़ाव जिस जिस ग्रह से होता जाएगा मैं था वह फल देता..
शनि के साथ कौन-कौन से ग्रह गुजरने वाले.. ईयर
मंगल शुक्र बुध चंद्र.. कुछ दिन बाद गुरु वक्री होकर शनि से जुड़ेंगे.. वही शनि की दृष्टि राहु पर होगी, सूर्य पर होगी, और मंगल पर..
नए संवत्सर में शनि के सलाहकार गुरु जब इनके साथ गोचर में होंगे तभी काफी चीजें बहुत अच्छी होंगी अगर सलाहकार आगे होगा तो निश्चित ही है शनि के लिए भी अच्छा समय होगा क्योंकि गुरु जैसा ग्रह अगर सलाहकार आगे आगे चलता है तो राजा कोई मुश्किल से निकल आएगा.. अर्थव्यवस्था और रोजगार को लेकर.
शनि की पाद के अनुसार फल:
29 अप्रैल से शनि का राशि परिवर्तन के समय चंद्रमा आपकी राशि से कहां गोचर कर रहे हैं उसके अनुसार आपको यह शनि फल देने वाले हैं।
शनि के पाद के अनुसार फल कथन🕉️
शनि यदि आपके 1,6,11 भाव से गुजर रहे हैं सोने का पाद आपके सुखों में वृद्धि करने वाला होगा,,
यदि शनि 2,5,9 स्थानों से गुजर रहे हैं तो रजत पाद होगा यह सौभाग्य और सुख की आप की वृद्धि करेगा ,
यदि शनि आपके आपके 3,7 और 10 भाव से गोचर में हैं तो तांबे का पाद मध्यम फल होगा,
यदि शनि आपके 4,8,12 भाव से गुजर रहा है यह लोहे का पाद होगा यह आपके धन-धान्य आदि को नष्ट करेगा और आपके लिए शुभ नहीं होगा.
इस तरह से विभिन्न राशियों को पाद के अनुसार फल विभिन्न राशियों का🌹
मेष सिंह और धनु राशि लोहे का पाद
मकर कन्या मिथुन तांबे का पाद
कुंभ वृश्चिक कर्क रजत पाद
वृषभ, तुला मीन स्वर्ण पाद मैं गोचर करने जा रही हैं जा रही है..
शनि की दृष्टि का फल :
शनि जहां बैठते हैं वहां अच्छा करते हैं और 3,7,10 उनकी दृष्टि होती है वहां उसकी दृष्टि के अनुसार उसे फल देते हैं...
तीसरी दृष्टि का फल( मेष )तीसरी दृष्टि को सबसे शक्तिशाली और खतरनाक माना गया है। यह व्यक्ति को संघर्ष या मेहनत से फल देती है..32 उम्र वालों पर ज्यादा प्रभावी होती है.. यह आपके पराक्रम को सही दिशा नहीं देने देगा क्या आप जो भी काम करेंगे उसमें आपका समय व्यर्थ चला जाएगा इसके लिए आपको अपने टाइम टेबल को सही रखना होगा..
सातवीं दृष्टि का फल (सिंह ) यह दृष्टि भी सुख देगी क्योंकि सप्तम की दृष्टि आपके पार्टनरशिप पर हर राशि के लिए है आप सामने वाले को अच्छे से कोई बात को समझा नहीं सकते हैं और सामने वाला आपको हमेशा गलत दिशा की ओर समझ सकता है. इसके लिए आप सामने वाले की बात को सुनना शुरू कर दीजिए.
दसवीं दृष्टि का फल ( वृश्चिक ) यह दृष्टि आपके रोजगार आपके कर्म क्षेत्र की होगी तो आपको यहां अपने कर्मों का लेखा जोखा रोज का रखना होगा गलत कर्म से पैसा नहीं कमाना होगा वही इनकम आपकी कम हो सकती है परंतु जो ऑप्शन आएंगे उसमें ही आपको विकल्प ढूंढना होगा.
शनि की साढ़ेसाती (बड़ी और छोटी पनौती ):
29 अप्रैल 2022 से मीन की साढ़ेसाती शुरू प्रथम चरण
मकर राशि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण होगा 26.1.2017 से 29.3.2025तक
कुंभ राशि का दूसरा चरण 24.1.2020 से 23.2.2028तक बड़ी पनौती
कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया का प्रभाव होगा ढाई वर्ष के लिए. छोटी पनौती
शनि अभी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे साढ़ेसाती के लिए 7 वर्ष का समय माना जाता है.. ढाई ढाई वर्ष का समय हर शनि की दृष्टि के अनुसार फल भी देता है..
हर राशि के लिए साढ़ेसाती का फल का चरण भी अलग अलग होता है..
राशि ढाई वर्ष ढाई वर्ष ढाई वर्ष
मेष सम अशुभ लाभदायक
वृषभ अशुभ शुभ लाभदायक
मिथुन शुभ सम अशुभ
कर्क सम अशुभ शुभ
सिंह अशुभ अधिक अशुभ सम
कन्या अशुभ अधिक अशुभ सम
वृश्चिक अशुभ अधिक अशुभ सम
धनु अशुभ शुभ लाभदायक
मकर अशुभ शुभ लाभदायक
कुंभ सम अधिक अशुभ अत्याधिक अशुभ
मीन सम अधिक अशुभ अत्याधिक अशुभ
अपने शनि को पहचान कर आप समय के अनुसार फल प्राप्त करेंगे
इसके लिए शनि के नक्षत्र के अनुसार वास्तविक फल विचार करना होगा.. आपका शनि जिस नक्षत्र में है
उसके अनुसार शनि फल को जानकर अलर्ट हो सकते हैं..
आपका शनि जिस नक्षत्र में बैठा है उसके अनुसार आपको अपना फल कथन समय
उदाहरण के लिए अगर धनिष्ठा नक्षत्र में गोचर में 18 फरवरी 2022 से 14 मार्च 2023 तक रहेंगे..
जिनका शनि इस ही नक्षत्र में 3 माह 90 दिन हानिकारक है
2-5 तक नक्षत्र में होंगे तो 13 माह 10 दिन में कार्य की सफलता मिलेगी विजय होंगे
6-11 नक्षत्र तो आपको भ्रमण कराएंगे और हार्ट से संबंधित परेशानी भी दे सकते हैं
12-15 नक्षत्र होंगा तो 13 माह 10 दिन शारीरिक मानसिक व्यापार परिवार में आप उलझ के रह जाएंगे
16-18 नक्षत्र होगा तो आपके 10 माह बहुत उत्तम समय होगा
19-20 नक्षत्र होंगे तो 6 माह 20 दिन उन्नति कारक होंगे
21-22 नक्षत्र के बीच होंगे तो 6 माह 20 दिन अत्यंत कष्टकारी होंगे
23-27 नक्षत्र के बीच होगा तो 16 माह 20 दिन भर व्यापार लाभ ही लाभ आपको शनि देव दे देंगे..
( इससे संबंधित विशेष जानकारी के लिए आप मुझे कांटेक्ट कर सकते हैं 9407555063)
शनि का प्रभाव🌹 मानसिक शारीरिक रूप से दोनों रूप से पड़ता है... सनी जब बुरा करते हैं कंचन, (धन) कामिनी (शरीर) ,कला ( कार्य क्षेत्र ), कोर्ट, कचहरी, कलह, इस प्रकार 6 तरह से कर्मों की सजा देते हैं..
साढ़ेसाती में शनि का फल कथन🌹 शरीर के अंगों पर विशेष इनका वास
7 माह मस्तिष्क पर हानि
9 मास नेत्र पर हानि
8 मास मुख पर हानि
6 मांस कंठ पर लाभ
10 मास ह्रदय में लाभ
11 मास उदर में लाभ
5 मास नाभि में भय
4मास गुदा में मृत्यु
13मास घुटने में भय
12मास जंघा में सुख
5मास चरण में यात्रा
यह विचार करना बहुत जरूरी होता है शारीरिक और मानसिक दृष्टि से.. शनि हमारे पुराने संचित कर्मों के अनुसार फल देते हैं इसलिए शनि को समझना इतना सरल नहीं होता है..
Remides🌹 कर्मों के अनुसार
बुद्धि और ज्ञान से सभी भाव जुडते है। धर्म और कर्म यदि लाभ से जुड़े तो योगकारक है। इच्छा महत्वपूर्ण होने पर ही कर्म किये जाते है और पूरा जीवन इस तरह इच्छाओं पर आधारित है। और कर्म हानि तो आय की हानि निश्चित है। कालपुरुष की कुंडली मे शनि कर्म प्रधान और आय प्रधान दोनो इसलिए भी है। कर्माधिनेतारों कर्म को प्रधानता दी गई हैऔर शनि यदि आपके लिए योगकारक नहीं है या आपने कर्म को महत्व नहीं दिया तो आय की हानि अपने आप ही हो जायेगी। शनि अपने प्रभाव मे कर्म से आय जरूर कम करते है इसलिए कुछ घंटे पहले निःस्वार्थ काम जरुर करे तो हानि नहीं होगी और फिर आप आय के लिए कार्य करे। तो आय भी बढेगी।
समाजिक कार्य करने से जैसे सेवा करना, गरीबों को पढाना पेड़ों मे पानी देना मंदिर और घाटों की सफाई करना अस्पतालों मे या वृद्ध के लिए रूकना बिमारो के लिए या जो कार्य आपको अच्छा लगे जरुर वह भी करें क्योंकि यह कार्य मन की शांति और समाज मे प्रतिष्ठा भी बढेगी और शनि देव की इच्छा भी पूरी हो जायेगी।
अगर जीवन मे कुछ योग खराब भी है तो आपको कर्म करना नहीं छोडना चाहिए यदि कर्म करते हुए आप सफल हुए तो सुख भोगेगे यदि कम सफल हुए तो कार्य का अनुभव हो जायगा जो भविष्य मेकम समय मे ज्यादा लाभदायक होगा।
स्फटिक को हार की बजाय माला के रूप में पहना जाता है। हालांकि कुछ लोग इसे ब्रेसलेट बनाकर भी पहन लेते हैं। बहुत से लोग स्फटिक की माला या अंगूठियां पहनते हैं। इसका शिवलिंग भी बना हुआ है। यह स्फटिक क्या है और इसे पहनने के क्या फायदे हैं आइए इसके बारे में जानते है ।।
स्फटिक क्या है?
दरअसल, स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, स्पष्ट पत्थर होता है, जो चमकदार सफेद रंग का दिखाई देता है। कांच की तरह दिखने वाले क्रिस्टलीय पत्थर से विशेष कटिंग बीड्स बनाकर भी मालाएं बनाई जाती हैं। यह देखने में बिलकुल फिटकरी की तरह होता है।
बर्फीले पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुकड़ों के रूप में स्फटिक पाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह सिलिकॉन और ऑक्सीजन के परमाणुओं के सम्मिश्रण से बनता है। यह बर्फ की तरह पारदर्शी और सफेद होता है।
स्फटिक माला के फ़ायदे ?
इसे पहनने वाले जातक को किसी भी प्रकार का भय और घबराहट नहीं रहती। जिस किसी व्यक्ति के गले में इसकी माला होती है उसके मन में सुख, शांति और धैर्य बना रहता है। इसे धारण करने से धन, संपत्ति, रूप, बल, वीर्य और यश प्राप्त होता है तथा भूत-प्रेत आदि की बाधा से भी मुक्ति मिलती है।
स्फटिक की माला से किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है। इसे धारण करने से तेजी और दिमाग का विकास होने लगता है। इसके अलावा इसकी भस्म से ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियां दूर होती है।
ज्योतिष विशेषज्ञ के अनुसार स्फटिक किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसकी माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसे धारण करने से शुक्र ग्रह दोष दूर होता है। ज्योतिष विद्वान बताते हैं कि स्फटिक के उपयोग से दु:ख और दारिद्र नष्ट होता है। यह पाप नाशक माने जाते हैं।
अगर इसे सोमवार को धारण किया जाए तो मन में पूर्णत: शांति की अनुभूति होती है एवं सिरदर्द नहीं होता । अगर आप स्फटिक की माला खरीदना
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