कुंभ विवाह

सप्तसागर पूजन
पुरषोत्तम मास (अधिक मास)की जाती है इस यात्रा में हर सागर पर जाकर पूजन अर्चन कर वस्तु दान देने का महत्व है जो इस प्रकार है
(1) रुद्र सागर:- यह हरसिद्धि मंदिर के पास है यहाँ पर नमक , रुद्राक्ष , व चांदी के नंदीगण की प्रतिमा का दान दिया जाता है
(2) पुष्कर सागर:- यहाँ नलिया बाखल में है यहाँ पर चने की दाल पिला वस्त्र व स्वर्ण दान दिया जाता है
(3) श्रीर सागर:- यह सागर नई सड़क के पास स्थित है यहाँ पर खीर चांदी के ग्लास में दान का महत्व है
(4) गोवर्धन सागर:- यह सागर निकास चौराहे पर स्थित है इस सागर पर कांसे के पात्र पर माखन मिश्री गुड़ से भरा पात्र लाल वस्त्र व पुरुष के वस्त्र देने का महत्व है
(5) रत्नाकर सागर:-। उंडासा ग्राम में स्थित है यहाँ पर सुहाग पिटारी स्त्री के वस्त्र सुहाग सामग्री श्रृंगार व पंचरत्न व नारियल दान देने का महत्व है
(6) विष्णु सागर:- यह सागर अंकपात पर स्थित है यहाँ पर विष्णु भगवान की प्रतिमा, आसन , माला , गीता जी , शंखनाद , गरूड़ घंटी , पंच पात्र , तरबाना , आचमनी , खरड़ ( चप्पल या जूते) छत्री कुबड़ी दान देने का विशेष महत्व है
(7) पुरषोत्तम सागर:-यह अंकपात द्वार के समीप है इसे सोलह सागर भी कहा जाता है यहाँ 33 नग शुद्ध घी के मालपुए को चलनी में रख कर लाल वस्त्र में बांध कर चांदी के सिक्के गुप्त दान करने का महत्व है ।
सप्त सागर में सामग्री
7 सुपारी
7 जनेव
7 दीपक तांबे के
पंच मेवा जो भी (नेवध लगाना चाहो)
