loading

श्रावण मास शुक्ल पक्ष

  • Home
  • Blog
  • श्रावण मास शुक्ल पक्ष

श्रावण मास शुक्ल पक्ष

श्वेत भस्म मन्त्र 

श्रावण मास में श्रौताग्नि से निर्मित श्वेत भस्म से अपने संपूर्ण शरीर को उदधूलित करके जल से आर्द्र भस्म के द्वारा मस्तक, वक्षःस्थल, नाभि, दोनों बाहु, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, कंठ, सर और पीठ – इन बारह स्थानों में त्रिपुण्ड धारण करें।

 

“मानस्तोके.” मन्त्र से अथवा “सद्योजात.” आदि मन्त्र से अथवा षडाक्षर मन्त्र – ॐ नमः शिवाय – से भस्म के द्वारा शरीर को सुशोभित करें और शरीर में एक सौ आठ रुद्राक्ष धारण करें. कण्ठ में बत्तीस रुद्राक्ष, सर पर बाइस, दोनों कानों में बारह, दोनों हाथों में चौबीस, दोनों भुजाओं में आठ-आठ, ललाट पर एक और शिखा के अग्रभाग में एक रुद्राक्ष धारण करें. इस प्रकार से करके मेरा पूजन कर पंचाक्षर मन्त्र का जप करें।

 

व्रत:

हविष्यान्न ग्रहण, पत्तल पर भोजन करना, शाकत्याग, भूमि पर शयन, प्रातःस्नान और दम तथा शम का वर्णन, उसके बाद स्फटिक आदि लिंगों में पूजा, जप का फल, उसके बाद प्रदक्षिणा, नमस्कार, वेदपरायण, पुरुषसूक्त की विधि, उसके बाद ग्रह यज्ञ की विधि, रवि-सोम-मंगल के व्रत का विस्तारपूर्वक वर्णन, पुनः बुध-गुरु का व्रत, इसके बाद शुक्रवार के दिन जीवन्तिका का व्रत, पुनः शनिवार को नृसिंह-शनि-वायुदेव और अश्वत्थ का पूजन – ये सब कहे गए हैं.
उसके बाद रोटक व्रत का माहात्म्य, औदुम्बर व्रत, स्वर्णगौरी व्रत, दूर्वागणपति व्रत, पंचमी तिथि में नाग व्रत, षष्ठी तिथि में सुपौदन व्रत, इसके बाद शीतला सप्तमी नामक व्रत, देवी का पवित्रारोपण, इसके बाद दुर्गाकुमारी की पूजा, आशा व्रत, उसके बाद दोनों एकादशियों का व्रत, पुनः श्रीहरि का पवित्रारोपण, पुनः त्रयोदशी तिथि को कामदेव की पूजा, उसके बाद शिवजी का पवित्रक धारण, पुनः उपाकर्म, उत्सर्जन तथा श्रवणा कर्म – इसका वर्णन किया गया है.

 

पाठ:

सर्पबलि, हयग्रीव-जन्मोत्सव, सभादीप, रक्षाबंधन, संकटनाशन व्रत, कृष्णजन्माष्टमी व्रत तथा उसकी कथा, पिठोर नामक व्रत, पोला नामक वृषव्रत,कुशग्रहण, नदियों का रजोधर्म, सिंह संक्रमण में गोप्रसव होने पर उसकी शान्ति, कर्क-सिंह संक्रमणकाल में तथा श्रावण मास में दान-स्नान-माहात्म्य, माहात्म्य-श्रवण, उसके बाद वाचकपूजा, इसके बाद अगस्त्य अर्घ्यविधि, फिर कर्मों तथा व्रतों के काल का निर्णय बताया गया है. जो श्रावण मास माहात्म्य का पाठ करता है अथवा इसका श्रवण करता है, वह इस मास में किये गए व्रतों का फल प्राप्त करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

EnglishHindi
error: Content is protected !!